वीररस कविता: पेशावर कांड के नायक वीर चंद्रसिंह गढ़वाली

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मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने दूधातोली में वीर चंद्र सिंह गढ़वाली जी के समाधि स्थल पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।
मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने दूधातोली में वीर चंद्र सिंह गढ़वाली जी के समाधि स्थल पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।
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दांत पीसते गोरा बोला, गढ़वाली 3 राउंड फायर /

शांत खड़ा था वीर चंद्र सिंह, बोला,गढ़वाली सीजफायर।
यह विद्रोह था या वीरता या सैनिक का स्वाभिमान /
निहत्थों पर नहीं वार किया,वीर गढ़वाली नायक महान।

बना लिया बंदी वीर को, सजा कठोर सुनाई/
अविचल स्थिर खड़ा वीर वह,सत्ता डिगा नहीं पाई।
निरपराध पर  गोली  मारे ,कैसी  यह अतुराई !
कप्तान रिकेट की आज्ञा, चंद्र सिंह ने नहीं मानी।

किस्साखानी के बाजार में ,विशाल जन सभा थी भाई ।
30 अप्रैल सन 30 की घटना, पेशावर कांड  कहलाई ।
मर मिटने को सैन्य शक्ति है ,न  कि  निरपराध को मारे /
देख रहे थे लोग तमाशा , कुछ तो डर के मारे थे भागे।

विश्वयुद्ध का वीर सिपाही, वीर चंद्र सिंह गढ़वाली ।
क्षत्रिय वंश का वीर सूरमा ,था वीर महा वह भंडारी,
पेशावर सैन्य छावनी,थी जहां रॉयल रेजीमेंट गढ़वाली।

निहत्थों को जो मारे , वह है केवल कायर अभिमानी ।

नहीं चलाने दी गोलियां ,फांसी हो या कालापानी।
क्यों नागरिकों को मारूं ,मैं हूं वीर शूरमा बलिदानी ।
आजादी का था उपासक ,वह गांधी सुभाष का भाई ।
उसकी प्रेरणा से बाद में,आजाद हिंद फौज बन  पाई।

  [su_highlight background=”#091688″ color=”#ffffff”]कवि : सोमवारी लाल सकलानी , निशांत[/su_highlight]