एकवेणी जपाकर्णपुरा नग्रा खरास्थिता। लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यशरीरिणी।।
वामपदोल्लसल्लोहलताकण्टकभूषणा। वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिभर्यङ्करी।।
शारदीय नवरात्रो में श्री दुर्गा देवी के नौ स्वरूपों में आज सातवें दिवस की अधिष्ठात्री देवी-शक्ति मॉ कालरात्रि हैं। भगवान शंकर ने एक बार देवी को काली कह दिया तभी से इनका एक नाम काली भी पड़ गया, मॉ कालरात्रि का स्वरूप काला जरूर है, लेकिन यह सदैव शुभ फल देने वाली है, इसी कारण इनका एक नाम शुभकारी भी है। मॉ कालरात्रि दैहिक, दैविक और भौतिक तापों को दूर करने वाली है, माँ को यंत्र, मंत्र और तंत्र की देवी भी कहा जाता है।
कहा जाता है कि देवी मॉ दुर्गा ने असुर रक्तबीज नाम के राक्षस का वध करने के लिये कालरात्रि को अपने तेज से उत्पन्न किया था। मॉ देवी कालरात्रि की उपासना से जीव- प्राणी सर्वथा के लिये भय से मुक्त हो जाता है।
यहाँ एक बात और बतानी आवश्यक है कि प्रत्येक वर्ष में चार नवरात्रि के पर्व आते हैं, जिन चार नवरात्रों में से दो नवरात्र गुप्त होते है और शेष दो में एक नवरात्र चैत्र माह में और एक शरद ऋतु (जिन्हें शारदीय नवरात्र भी कहते हैं) में मनाए जाते हैं।
मॉ के सभी रुप अपने आप में शक्ति और भक्ति के भंडार के कहे गये हैं, संसार में बढ़ रही अनैतिकता को समाप्त करने के लिये माँ कालरात्रि देवी चंन्द्रघंटा देवी का रुप भी धारण कर लेती है, ताकि उनके भक्तों-साधकों का कार्य सिद्ध किया जा सके।
हे मानव धर्म को धारण करना ही धर्म का पालन है,अधिकतर मनुष्य मन के वशीभूत होकर कार्य करते हैं, इसीलिये दुखी रहते हैं।
मन की शुद्धता व उसे संयमित करना भी जरूरी है तभी हम अच्छे कर्मो से जीवन रुपी युद्ध को जीत सकते हैं।
हे मानव जैसे बछड़ा हजार गायों के बीच मे भी अपनी माता को ढूँढ़ लेता है, उसी प्रकार आपके द्वारा पूर्व में किये गये अच्छे कर्म भी कर्ता-आपको पहचानकर उनका अनुसरण करते हैं, इसलिये सदैव अच्छे कर्म ही करें, आपका मंगल ही मंगल होगा।
भगवती आप सभी को परिवार सहित सदैव सुखी, स्वस्थ, समृद्व एवं निरोगी रक्खें, श्रीचरणों से यही कामना व प्रार्थना करते हैं।
ई०/पं०सुन्दर लाल उनियाल
नैतिक शिक्षा व आध्यात्मिक प्रेरक, दिल्ली/इन्दिरापुरम, गा०बाद/देहरादून