अवसान और उद्भव : भारत की लौह महिला और लौह पुरुष 

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    भारत की लौह महिला और लौह पुरुष को शहादत दिवस तथा जन्म दिवस पर शत शत नमन
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    31 अक्टूबर की तिथि का मेरे लिए बहुत बड़ा महत्व है। जन्मपत्री के अनुसार आज ही की तिथि को 62 वर्ष पूर्व (संवत 2017, 15 गते कार्तिक, सोमवार) मेरा जन्म भी हुआ था। यूं तो आज हजारों लोगों का जन्मदिन होगा। जैसे- डॉ हरक सिंह रावत का भी जन्मदिन आज ही है।
    यह तिथि एक ऐतिहासिक जन्म दिवस और एक शहादत दिवस के रूप में, वर्तमान समय में महत्वपूर्ण स्थान रखती है।

    [su_highlight background=”#091688″ color=”#ffffff”]सरहद का साक्षी @कवि:सोमवारी लाल सकलानी, निशांत[/su_highlight]

    सर्वप्रथम में आयरन लेडी ऑफ इंडिया (लौह महिला) प्रियदर्शनी स्व. श्रीमती इंदिरा गांधी जी का नामोल्लेख करना चाहूंगा, जिन्होंने कृतज्ञ राष्ट्र के लिए अपने प्राणों की बाजी इसी तिथि को सन् 1984 में लगा ली थी। आतंकवाद की कमर तोड़ने वाली भारत की पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय इंदिरा गांधी जी ने अपनी शहादत देशकी अखंडता के लिये दी थी।

    श्रीमती गांधी का योगदान भारत के पुनर्निर्माण में स्वर्ण अक्षरों में अंकित रहेगा। गरीबी उन्मूलन, महिला सशक्तिकरण, बैंकों का राष्ट्रीयकरण, कोल माइंस का राष्ट्रीयकरण, राष्ट्रीय एकता, आतंकवाद का सफाया आदि के कारण होने जाना जाता है। उनके शासनकाल में भारत रूस मैत्री संधि, दिल्ली में गुटनिरपेक्ष सम्मेलन तथा एशियाड जैसे खेलों का भी आयोजन हुआ। सबसे महत्वपूर्ण कार्य उनके कार्यकाल का सन् 1971 का भारत-पाकिस्तान युद्ध है। जिसमें भारत की शानदार विजय हुई और बांग्लादेश का उदय। यह इंदिरा जी की दृढ़ इच्छाशक्ति का ही परिणाम था। अराजक तत्वों, माफियाओं, जमाखोरों, भ्रष्टाचारियो पर लगाम लगाने के लिए उन्होंने आपातकाल जैसे ऐतिहासिक फैसले भी लिए। भले ही आपातकाल की कोई कितनी भी अधिक निंदा क्यों न करें, लेकिन जनसंख्या नियंत्रण का कार्य जो इंदिरा जी कर गई, वह आज स्वैक्षिक परिवार नियोजन के रूप में सबके सामने है। मैं इसे एक बड़ी उपलब्धि के रूप में मानता हूं।

    इंदिरा जी पर जितना भी लिखा जाए और चर्चा की जाए, कम ही कम है। मातृशक्ति का जो मान इंदिरा गांधी ने बढ़ाया, वह विश्व के इतिहास में कमतर ही इस मुकाम पर पहुंचे हैं। आज उनके शहादत दिवस पर मैं उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उन्हें नमन करता हूं।

    … दूसरी ओर आज आयरन मैन ऑफ इंडिया(लौह पुरुष) भारत रत्न सरदार वल्लभ भाई पटेल का जन्मदिन है। जिसे कि कृतज्ञ राष्ट्र राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मना रहा है क्योंकि उन्हीं के अदम्य साहस का प्रतिफल था, कि 562 देशी रियासतें भारत संघ में विलय हुई। सरदार पटेल दृढ़ इच्छाशक्ति के व्यक्ति होने के साथ-साथ एक सफल गृह मंत्री भी रहे। भारतीय लोकतंत्र के लिए वह किसी देवता से कम नहीं है।
    गांधी जी के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलने वाले सरदार पटेल खेड़ा आंदोलन से विख्यात हुए और उसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।

    बारडोली की महिलाओं ने उन्हें “सरदार की उपाधि” से सर्वप्रथम विभूषित किया था, वे युग युगांतर तक इसी नाम से जाने जाएंगे। सरदार पटेल की डिसीजन मेकिंग(निर्णय लेने की क्षमता) सर्वोपरि थी। एक संवेदनशील इंसान होने के साथ-साथ उनकी दृढ़ इच्छाशक्ति की तत्कालीन बड़े-बड़े राष्ट्राध्यक्ष और शासनाध्यक्ष उनकी सराहना करते थे। पेशे के वकील होने के बावजूद सदैव इंसानी जज्बातों से जुड़े रहे और राष्ट्र -सेवा के प्रति अपना संपूर्ण जीवन उत्सर्ग कर गए।

    उनके जन्मदिवस पर श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए मैं स्वयं को गौरवान्वित महसूस कर रहा हूं। मेरा जन्मदिन सदैव सरदार पटेल और इंदिरा गांधी जी को समर्पित रहेगा। जय भारत ! जय हिंद ! जय लौह महिला और जय लौह पुरुष।