वारूणी पर्व: आज यूं करें अखंड फल प्राप्ति

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आज चैत्र मास कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को वारूणी पर्व है। आज गङ्गा आदि पवित्र नदियों में व तीर्थ स्थानों में स्नान, दान, व्रत, उपवास करने से कई सूर्य ग्रहणों में किए दान, तप के समान अखण्ड फल की प्राप्ति होती है।

[su_highlight background=”#870e23″ color=”#f6f6f5″]सरहद का साक्षी@आचार्य हर्षमणि बहुगुणा[/su_highlight]

इस पुण्य प्रद वारूणी पर्व के महायोग को तीन भेद हैं। प्रथम कृष्ण पक्ष त्रयोदशी और वारुण नक्षत्र (शतभिषा) हो तो वारूणी योग, द्वितीय शतभिषा और शनिवार हो तो महावारूणी योग और तृतीय शतभिषा नक्षत्र, शनिवार और शुभ योग हो तो महा महा वारूणी योग होता है। आज शतभिषा 10/45 बजे तक, शुभ योग 12/56 बजे तक और त्रयोदशी तिथि 1/20 बजे तक है। अतः 10/45 तक इस महायोग में अपने शरीर की वारूणी को समाप्त करने के लिए गङ्गा आदि पवित्र नदियों में स्नान, दान, व्रत, उपवास आदि का पुण्य अर्जित किया जा सकता है। इस विषय में कहा गया है कि –

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चैत्रासिते वारुणॠक्षयुक्ता त्रयोदशी सूर्यसुतस्य वारे।

योगे शुभे सा महती महत्या गङ्गाजलेऽर्कग्रहकोटितुल्या।।

अतः आज अपने पाप ताप की शान्ति का प्रयास करना चाहिए।