प्रदेशभर में 22 अगस्त को बच्चों को खिलायी जाएगी कृमि नाशक दवाई

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प्रदेशभर में 22 अगस्त को बच्चों को खिलायी जाएगी कृमि नाशक दवाई
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प्रदेशभर में 22 अगस्त को बच्चों को खिलायी जाएगी कृमि नाशक दवाई

देहरादून: आगामी राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस कार्यक्रम के सफल आयोजन हेतु उत्तराखण्ड राज्य स्तरीय समन्वय समिति की बैठक श्रीमती अमनदीप कौर, अपर सचिव स्वास्थ्य एवं अपर मिशन निदेशक, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन उत्तराखंड की अध्यक्षता में एन.एच.एम. सभागार देहरादून में आयोजित की गई।

इस बैठक में अगस्त 2023 में आयोजित होने वाले राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस कार्यक्रम को सफल बनाने की रणनीति तय की गई। जिसमें कृमि मुक्ति दिवस कार्यक्रम उत्तराखण्ड के सभी 13 जिलों में 1 से 19 साल तक के 38.36 लाख बच्चों और किशोरों को 22 अगस्त 2023 एवं किसी कारणवश कृमिनाशक दवा खाने से वंचित रह गये बच्चों को मॉप-अप दिवस 29 अगस्त 2023 को एल्बेंडाजोल दवा प्रशिक्षित शिक्षकों एवं आंगनबाडी कार्यकर्ताओं द्वारा स्कूलो एवं आंगनवाड़ी केन्द्रों मे खिलायी जायेगी।

अपर सचिव स्वास्थ्य एवं अपर मिशन निदेशक एनएचएम श्रीमती अमनदीप कौर द्वारा बताया गया कि कृमि से होने वाले दुस्प्रभावों की रोकथाम के लिए भारत एवं उत्तराखण्ड सरकार द्वारा राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस कार्यक्रम का आयोजन वर्ष में दो बार कृमि संक्रमण और उस से सम्बंधित रोगों की रोकथाम के लिए किया जाता है।

इस कार्यक्रम में 1 -19 वर्ष के सभी बच्चों और किशोरों को स्कूल, तकनीकी संस्थानों और आंगनवाड़ी एवं शहरी स्वास्थ्य पोस्ट के माध्यम से अगम्य व मलिन बस्तियों /क्षेत्रों अभियान चलाकर डिवर्मिंग दवा एल्बेंडाजॉल खिला कर कृमि मुक्त किया जाता है।

राज्य के सभी बच्चों को कृमि मुक्त किया जाना सुनिश्चति करें:अपर सचिव स्वास्थ्य

अपर सचिव स्वास्थ्य ने राज्य के सभी अधिकारीयों को निर्देशित कर कहा कि राज्य के सभी बच्चों को कृमि मुक्त किया जाना सुनिश्चति करें। हमारा लक्ष्य है कि हम राज्य के शत प्रतिशत बच्चों को कृमिनाशक दवा खिलाकर उनको कृमि मुक्त करें तथा स्वस्थ्य उत्तराखण्ड़ के निर्माण में एक और कदम आगे बढ़ें।

बैठक में अपर सचिव ने बताया की उत्तराखण्ड में राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस कार्यक्रम में अब तक राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस (एनडीडी) के 14 राउंड किये जा चुके हैं। पूर्व में अप्रैल माह में एनडीडी कार्यक्रम के अंतर्गत समस्त जनपदों में 34.84 लाख किशोर/किशोरियों को कृमि मुक्त किया गया।

बैठक में स्कूल शिक्षा विभाग, तकनीकी शिक्षा विभाग, केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई), नवोदय विद्यालय समिति, राज्य जल एवं स्वछता मिशन, पेयजल विभाग उत्तराखण्ड, उत्तराखंड मदरसा बोर्ड, स्वच्छ भारत मिशन (एस.बी.एम.), आउटरीच ब्यूरो, श्रम विभाग, पचांयती राज विभाग सहित एविडेसं एक्शन के प्रतिनिधियों द्वारा प्रतिभाग किया गया।

बच्चों में कृमि मुक्ति के लिए अहम है एल्बेंडाजोल दवाई

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार भारत में 1 से 14 साल तक की उम्र के 22 करोड़ से भी अधिक बच्चों को कृमि संक्रमण का खतरा है। साथ ही भारत उन देशों में से एक है जहाँ कृमि संक्रमण और इससे संम्बन्धित रोग अधिक पाए जाते हैं।

कृमि संक्रमण की रोकथाम के लिए एल्बेंडाजोल दवाई का सेवन एक सुरक्षित, लाभदायक एवं प्रभावी उपाय है जो साक्ष्य आधारित और वैश्विक स्तर पर स्वीकृत है। उत्तराखंड में राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस कार्यक्रम विश्व स्वास्थ्य संगठन, राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र और एविडेंस एक्शन के तकनीकी सहयोग से आयोजित किया जाता है।

एल्बेंडाजॉल डब्ल्यूएचओ द्वारा अनुमोदित दवा है जिसका उपयोग पूरे विश्व में बच्चों और किशोरों में आंत के कृमि संक्रमण को रोकने के लिए किया जाता है। कृमि एक परजीवी हैं जो मनुष्य के आंत में रहते हैं और जीवित रहने के लिए मानव शरीर के जरूरी पोषक तत्व को खाते हैं। कृमि संक्रमण भारत में एक प्रमुख जन स्वास्थ्य समस्या है और ये बच्चों और किशोरों की शारीरिक, मानसिक और शैक्षणिक विकास पर हानिकारक प्रभाव डालते हैं। इनसे अनीमिया और कुपोषण का भी खतरा है।

नियमित डिवर्मिंग बच्चों और किशोरों में कृमि के संक्रमण को समाप्त कर, उनके शारीरिक और संज्ञानात्मक विकास में योगदान कर सकता है, और साथ ही जीवन की गुणवत्ता में सुधार कर सकता है।

एल्बेंडाजोल टेबलेट सेवन के उपरांत कुछ बच्चों को हल्के पेट दर्द, उल्टी, जी मिचलना दस्त और थकान का हो सकता है अनुभव 

एल्बेंडाजोल टेबलेट सेवन के उपरांत कुछ बच्चों को हल्के पेट दर्द, उल्टी, जी मिचलना दस्त और थकान का अनुभव हो सकता है। ये दुष्प्रभाव आमतौर पर अस्थायी होते हैं और इन्हें आसानी से संभाला जा सकता है। चोकिंग (दवाई का गले में अटकना) एल्बेंडाजॉल का साइड इफेक्ट नहीं है और यह तब होता है जब टैबलेट को ठीक से चबाया या चूरा ना किया हो।

राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस कार्यक्रम के दौरान किसी भी प्रतिकूल घटनाओं के प्रबंधन के लिए, उत्तराखण्ड में सशक्त आपातकालीन सहायता दल तैयार रहता है।

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