देवोत्थान-प्रबोधनी एकादशी: सनातनियों को यथाशक्ति अनुसार इस एकादशी के व्रत का संकल्प अवश्य करना चाहिये

57
तुलसी विवाह : प्रतिदिन तुलसी पत्र से पूजा करने से व्रत, यज्ञ, जप होम, हवन करने का पुण्य प्राप्त होता है
यहाँ क्लिक कर पोस्ट सुनें

सुप्ते त्वयि जगन्नाथ जगत्सुप्तं भवेदिदम्
विबुद्धे त्वयि बुध्येत जगत्सर्वं चराचरम्

हे जगन्नाथ! आपके सो जाने पर सारा जगत सो जाता है और आपके जाग्रत होने पर सम्पूर्ण चराचर जगत जाग उठता है।

सरहद का साक्षी @ई०/पं०सुन्दर लाल उनियाल

ब्रह्मेन्द्ररुदाग्नि कुबेर सूर्यसोमादिभिर्वन्दित वंदनीय
बुध्यस्य देवेश जगन्निवास मंत्र प्रभावेण सुखेन देव

ब्रह्मा, इंद्र, रुद्र, अग्नि, कुबेर, सूर्य, सोम आदि से वंदनीय: हे! जगन्निवास, देवताओं के स्वामी आप मंत्र के प्रभाव से सुखपूर्वक उठें।

उत्तिष्ठोतिष्ठ गोविन्द त्यज निद्रां जगत्पते
त्वयि सुप्ते जगन्नाथ जगत्सुप्तं भवेदिदम्‌

उत्तिष्ठोत्तिष्ठ गोविन्द उत्तिष्ठ गरूडध्वज
उत्तिष्ठ कमलाकान्त त्रैलोक्ये मङ्गलं कुरु

उतिष्ठोतिष्ठ बाराहदंष्ट्रोद्धृत वसुंधरे
हिरण्याक्षप्राणघातिन् त्रैलोक्ये मंङ्गलं कुरु।

यद्यपि भगवान श्रीनारायण क्षण भर भी सोते नहीं हैं फिर भी भक्तों की भावना यथा देहे तथा देवे के अनुसार भगवान चार मास शयन करते हैं जिन्हें चतुर्मास भी कहा जाता है।

पद्मपुराण के अनुसार महापराक्रमी शंखासुर जो समुद्र का पुत्र था, के वध के उपरान्त कार्तिक शुक्ल एकादशी को धर्म-कर्म में प्रवृत्ति कराने वाले भगवान गोविन्द उठते अर्थात निद्रा से जागते हैँ। इसी कारण झ्स एकादशी का नाम देवोत्थापनी या प्रबोधनी एकादशी हैं।

पद्मपुराण के अनुसार चूँकि इस एकादशी की तिथि को भगवान को जगाया गया है इसलिये यह तिथि और यह मास भगवान को अतिप्रिय तथा भगवान का सानिध्य प्राप्त कराने वाला है।

इसलिये सभी सनातनियों को यथाशक्ति अनुसार इस एकादशी के व्रत का संकल्प अवश्य करना चाहिये, जो फल व अक्षय पुण्य समस्त तीर्थों में स्नान करने, गौ, स्वर्ण और भूमि का दान करने के बाद प्राप्त होता है, वही फल इस एकादशी के व्रत को करने से सहज व सरलता से ही प्राप्त हो जाता है।

हरिप्रबोधिनी देवोत्थान एकादशी, इगास बग्वाल, तुलसी विवाह व बाल दिवस की आप सभी को सपरिवार बहुत बहुत बधाई एवं हार्दिक मंगल शुभकामनाएं।

हे! कमलनयन! श्रीहरि! भगवान अच्युत! सुदर्शनचक्रधारी! गदाधर! भगवान श्रीराधामाधव जी अपने भक्तों की समस्त मनोकामनाऐं पूर्ण कर सभी का हर प्रकार से मंगल करें।

आप श्रीहरि की असीम कृपा से आपके सभी सनातनी भक्त सदैव सुखी, स्वस्थ, समृद्ध एवं निरोगी हो, श्रीचरणों से नित्यप्रति यही कामना व प्रार्थना करते हैं।