निराश्रित परित्यक्त गोवंश की होगी गणना, बनेंगे नवीन गोसदन शरणालय
ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में संख्या निर्धारण हेतु डीएम ने दिया तीन दिन का समय
नई टिहरीः जिले में निराश्रित परित्यक्त गोवंश प्रबंधन हेतु नवीन गोसदन शरणालयों की स्थापना किये जाने हेतु चरणबद्ध प्रक्रिया आरम्भ हो गई है। इसके लिए जिलाधिकारी टिहरी द्वारा जिले के सभी राजस्व क्षेत्रों एवं निकायों को प्रभावी आदेश जारी करते हुए तीन दिन के भीतर निराश्रित परित्यक्त गोवंश की संख्या निर्धारण के आदेश जारी किए गए हैं।
जिलाधिकारी कार्यालय पत्र सं0 302 / 307 / कांजी . हाउस गोशाला शरणालय / 2023-24 दिनांक 06.07.2023 के क्रम में जिले के समस्त शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में परित्यक्त निराश्रित गोवंश की संख्या निर्धारण हेतु सर्वेक्षण कार्य का जिम्मा राजस्व उप निरीक्षकों एवं निकायों को दिया गया है। इस कार्य को पूर्ण करते हुए 03 दिन अन्तर्गत रिपोर्ट उपलब्ध करवाने को निर्देशित किया गया है।
आपको बता दें कि जिले के शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में निराश्रित परित्यक्त गोवंश की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। सरकार द्वारा पूर्व में गोवंश के आयात पर प्रतिबन्ध लगाये जाने के फलस्वरूप उत्तराखण्ड में आवारा गोवंश की नफरी दिनोंदिन बढ़ती जा रही है। आवारा गोवंश में नर गोवंश की लगातार वृद्धि का मुख्य कारण लोगों का खेती से विमुख होने के अलावा नवीन तकनीक के कृषि यंत्रों का विकसित होना है। जिस कारण किसान अब खेती के लिए बैलों का उपयोग न कर कृषि यंत्रों के उपयोग को सुलभ मानकर खेती कर रहा है।
दूसरा यह कि प्रतिबन्ध से पूर्व यहां का गोवंश मैदानी क्षेत्रों में आयात हो जाता था और किसान वहां से आने वाले नये एवं अच्छी नश्ल के बैल अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए कर लेते थे। मगर इस प्रतिबन्ध के चलते उत्तराखण्ड में आवारा गोवंश की संख्या लगातार बढ़ती गई।
हालांकि गोवंश के संरक्षण के नाम पर प्रदेश में अरबों रुपयों का अनुदान गौशालाओं को प्रदान किया जाता रहा है। मगर विभिन्न स्थानों पर स्थापित इन गौशालाओं में यदि आप अपने पाल्य गोवंश को असमर्थता के फलस्वरूप भेजना चाहते हैं तो गोवंश के साथ नगद धनराशि दिए जाने का प्रलोभन दिए जाने के बाबजूद भी सरकार से गोवंश संरक्षण के नाम पर प्रतिवर्ष लखटकिया राशि बटोरने वाली चन्द गोशालायें इस गौवंश को लेने को तैयार नहीं होती हैं। जिस कारण नागरिकों को इस गोवंश को आवारा छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ता है।
अब सरकार ने इस परित्यक गोवंश के संरक्षण हेतु नया कदम उठाने का प्रयास किया है। अब देखना यह है कि सरकार की यह नीति कितनी कारगर साबित होती है। यह तो समय के आगोश में है।