देहरादूनः किसी भी कर्मचारी का वेतनमान नहीं पदनाम बदलकर अधिकारी बना दिया जाना आज तक सभी सरकारों की फितरत रही है। वर्तमान के राजस्व उप निरीक्षक पूर्व में पटवारी हुआ करते थे, ग्राम पंचायत अधिकारी पंचायत मंत्री तथा ग्राम पंचायत विकास अधिकारी वीएलडब्ल्यू, इसी तरह कई और अन्य! उसी की तर्ज पर अब प्रांत का स्वास्थ्य विभाग भी अपने कर्मचारी अधिकारियों का पदनाम परिवर्तित कर वाहवाही लूटने को तैयार है।
होना भी चाहिए क्योंकि कर्मचारी अधिकारियों का सम्मान किया जाना जरूरी है, मगर केवल पदनाम बदलकर नहीं। उन्हें उचित सम्मान दिया जाना चाहिए, उनकी कार्य संस्कृति के अनुरूप। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग ने मूल सुसंगत सेवा नियमावली में संषोधन किए बिना उपचारिका और उपचारक का नाम बदलकर नर्सिंग अधिकारी, सिस्टर व वार्ड मास्टर वरिष्ठ नर्सिंग अधिकारी कर दिया है। लेकिन वेतनमान, भत्तों व सेवा षर्तों को यथावत् रखा है। ऐसी पद वृद्धि का क्या फायदा। वे जो हैं वही रहेंगे। अपनी कार्य संस्कृति से किसी चिकित्सक से भी बड़े बन सकते हैं। चाहे वे स्वच्छता कर्मी ही क्यों न हों। स्वास्थ्य विभाग को चाहिए था कि स्वच्छता कर्मियों, जिनकी बदौलत सभी स्वस्थ हैं, उन्हें भी स्वास्थ्य अधिकारी बना दिया जाता। मूलतः स्वास्थ्य अधिकारी वे ही हैं। बाकी तो कुर्सी तोड़ ही लगते हैं।
प्रभारी सचिव स्वास्थ्य पंकज कुमार पाण्डेय ने आदेष जारी करते हुए उपचारिका और उपचारक का नाम बदलकर नर्सिंग अधिकारी और सिस्टर व वार्ड ब्याॅय का नाम परिवर्तित कर वरिश्ठ नर्सिंग अधिकारी कर दिया है। लेकिन गौरकरणीय है कि किसी भी पद का मान पदनाम बदलकर नहीं उनकी कार्य संस्कृति में बदलाव करके बढ़ाया जा सकता है।