डांडा कु थौळ याने गजा का मेलाः कोरोना की ख़ामोशी टूटी, मेले में उमड़ी खासी भीड़, जमकर हुई खरीदारी

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डांडा कु थौळ याने गजा का मेलाः कोरोना की टूटी ख़ामोशी, मेले में उमड़ी खासी भीड़, जमकर हुई खरीदारी
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वैश्विक महामारी कोरोना काल में आवाजाही बंद होने से अब दो साल बाद गजा के मेले में  खासी भीड़ उमड़ी  और लोगों ने जमकर खरीदारी की।  कोरोनाकाल में अधिक लोगों इकट्ठा होने पर प्रतिबंध लगा दिया गया था।

सरहद का साक्षी, डी.पी. उनियाल @गजा

इस समय लोग पौराणिक थौल मेलों में खूब खरीदारी भी कर रहे हैं। धारअकरिया, क्वीली, कुजणी पट्टियों के केन्द्र स्थान गजा में इस बार खूब भीड़ रही। 25 अप्रैल 12 गते बैशाख को मनाये जाने वाले इस मेले में अगले दिन से ही बाहर से आये दुकानदारों ने अपने अपने लिए जगह घेर ली थी तथा गौंसारी गांव के लोग ढोल दमाऊ के साथ घंडियाल मंदिर गजा में पूजा करने आये। यह पुरानी परम्परा आज भी जीवित है। मेले में राजस्व विभाग प्रशासन के राजस्व निरीक्षक, राजस्व उप निरीक्षक तथा होम गार्ड भी शांति व्यवस्था कायम रखने में मदद करते रहे। वहीं नगर पंचायत गजा के कर्मचारी भी स्वच्छता बनाए रखने के लिए सुझाव देते नजर आए। नगर पंचायत गजा अध्यक्ष श्रीमति मीना खाती और अधिशासी अधिकारी सुशील बहुगुणा ने कहा कि पौराणिक थौल मेले हमारी संस्कृति के प्रतीक हैं। साल भर से लोगों में थौल मेले आने की उमंग रहती है। अप्रैल के पूरे माह पहाड़ी क्षेत्रों में थौल मेलों का आयोजन होता आया है। मेले में पकवानों के साथ ही कृषि औजार, मोमो, बर्गर, गुलदस्ते, चाट, प्लास्टिक वर्तन, रेडिमेड परिधानों की दुकानों, खूब लगी हुई थी।

इस अवसर पर अरविंद उनियाल, मान सिंह चौहान, राजेन्द्र खाती, गजेन्द्र सिंह खाती, कुंवर सिंह चौहान ने बताया कि अनेक थौल मेले धीरे-धीरे कम होते जा रहे हैं।