छठ पूजा: भारत के बिहार प्रान्त का सर्वाधिक प्रचलित एवं पावन पर्व है छठ महोत्सव

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छठ पूजा: भारत के बिहार प्रान्त का सर्वाधिक प्रचलित एवं पावन पर्व है छठ महोत्सव
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सूर्य षष्ठी महोत्सव, छठ पूजा, कार्तिक शुक्ल षष्ठी

यह व्रत प्रमुख रूप से भगवान सूर्य का व्रत है तथा भारत के बिहार प्रान्त का सर्वाधिक प्रचलित एवं पावन पर्व है। हमारी परम्पराओं की जड़ें बहुत गहरी हैं। प्रकृति शब्द की व्याख्या इस प्रकार की गई है – ‘प्र’ का अर्थ प्रकृष्टकृति का अर्थ सृष्टि अर्थात् – ‘प्रकृष्ट सृष्टि’ या प्र- सत्वगुण, कृ- रजोगुण व ति- तमोगुण। इन तीनों गुणों की साम्यावस्था ही है प्रकृति-

त्रिगुणात्मस्वरूपा या सर्वशक्तिसमन्विता। प्रधानसृष्टिकरणे प्रकृतिस्तेन कथ्यते।।

“ब्रह्मा की मानस पुत्री षष्ठी देवी, विश्व के समस्त बालकों की रक्षिका, अपुत्रों को पुत्र प्रदान करने वाली, ‘पुत्रदाऽहम् अपुत्राय’ ऐसी षष्ठी देवी की स्तुति प्रतिमाह की शुक्ल षष्ठी तिथि को ‘षष्ठी महोत्सव’ के रूप में मनाया जाता है। आज भी शिशुओं के जन्म से छठे दिन षष्ठी पूजन बहुत धूमधाम से मनाने का प्रचलन है। प्रसूता को प्रथम स्नान भी इसी दिन करवाने की परम्परा भी है। ‘षष्ठं कात्यायनीति च’ । कहीं कहीं इस व्रत को प्रतिहार षष्ठी के नाम से भी जाना जाता है। प्रतिहार का अर्थ जादू या चमत्कार है। इस व्रत का वर्णन पुराणों में भी वर्णित है, अतः भगवान सूर्य का अर्चन कर लाल चन्दन, फूल व चावलों से अर्घ्य निवेदन करना चाहिए।

कार् शुक्लपक्षे तु निरामिषोपरो भवेत्।
पञ्चम्यामेकभोजी स्याद् वाक्यं दुष्टं परित्यजेत्।।
ॐ सूर्य देवं नमस्तेस्तु गृहाणं करूणा करं
अर्घ्यं च फल संयुक्त गन्ध माल्याक्षतैर्युतम्
त्रैगुण्यं च महाशूरं ब्रह्मविष्णुमहेश्वरम्
महापापहरं देवं तं सूर्य प्रणमाम्यहम्

हे भगवान सूर्य देव! हम आपको सुगंधित पुष्प, फल, माला और अक्षत से परिपूरित पूर्ण श्रद्धा से अर्घ्य अर्पित करते हैं, कृपया आप हमारे इस अर्ध्य को ग्रहण कर हम सब पर करुणा व कृपा करो। सूर्योपासना के महापर्व सूर्य षष्ठी (छठ पूजा) पर आज अस्ताचलगामी सूर्य की अंतिम किरण प्रत्यूषा को अर्घ्य देते हुए जीवन में इस विश्वास को दृढ़ करें कि अस्त हुआ सूर्य पुनः नयी आभा के साथ शीघ्र उदय होता है।

भगवान सूर्य आराधना के महापर्व सूर्य षष्ठी महोत्सव

भगवान भास्कर व छठ मैया परमेश्वरी आप सबका मंगल कर आपको सदैव सुखी, समृद्ध, स्वस्थ एवं निरोगी रखें। आपके सभी मन मनोरथ पूर्ण हों। ‘ सविता व षष्ठी दोनों की एक साथ उपासना से अनेक मन वाञ्छित फलों को प्रदान करने वाला यह सूर्य षष्ठी देवी का व्रत वास्तव में बहुत महत्वपूर्ण है। आप सबको इस व्रत की हार्दिक बधाई।