अमर शहीद श्रीदेव सुमन: आज जन सेवक स्वहित साधक है, जनहित की उन्हें फुर्सत ही नहीं…!

    जनक्रांति नायक  सुमन की पुण्यतिथि पर मुख्यमंत्री ने उनका भावपूर्ण स्मरण कर श्रद्धांजलि अर्पित की
    play icon Listen to this article

    अमर शहीद श्रीदेव सुमन

    आज के ही दिन 25 मई सन् 1916 को चम्बा जौल गांव (बमुण्ड पट्टी) टिहरी गढ़वाल (उत्तराखंड) में पं० हरि दत्त बडोनी जी के यहां अवतरित अमर शहीद श्रीदेव सुमन बहुमुखी प्रतिभा के धनी युवक थे। चौदह वर्ष की अवस्था में सन् 1930 में नमक सत्याग्रह में भाग लिया। सन् 1936 में दिल्ली में “गढ़ देश सेवा संघ ” की स्थापना हुई व उसके सक्रिय कार्यकर्ता बने।

    सरहद का साक्षी @ आचार्य हर्षमणि बहुगुणा

    सन् 1939 में देहरादून में ‘टिहरी राज्य प्रजा मण्डल ‘ की स्थापना के बाद सक्रिय कार्यकर्ता, टिहरी नरेश महाराज नरेंद्र शाह ने अपनी रियासत को अक्षुण्ण बनाए रखने के लिए टिहरी गढ़वाल की जनता को उच्च शिक्षा में जाने से पहले ही शिक्षित बच्चों को किसी न किसी रूप में नौकरी दी।

    श्री श्रीदेव सुमन को भी अच्छी नौकरी का प्रलोभन दिया, पर उनका मन तो टिहरी गढ़वाल की जनता के दु:खों को मिटाने का था। एक तम्मना थी, एक लालसा थी, इसी के लिए दमन कारी शासकीय कर्मचारियों के षड्यंत्रों में अपना जीवन बलिदान कर दिया, पर देश को बहुत कुछ बता दिया और इसी लिए राज्य के शहजादों ने अथाह जुल्म किए, पर मातृभूमि का यह सपूत डग से मग नहीं हुआ। 1942 अप्रैल में गिरफ्तार कर हतोत्साहित करने के लिए कई बार गिरफ्तार कर रिहा भी किया गया।

    अन्तिम जेल यात्रा 30 दिसंबर सन् 1943 को हुई , पाशविक अत्याचार किए गए, पैंतीस सेर की बेड़ियों से पैर जकड़ दिए , तीन मई सन् 1944 को आमरण अनशन प्रारम्भ किया जो 84 दिन तक चला व 25 जुलाई की सायं चार बजे आपका शरीर शान्त हो गया  या यातना देकर शान्त होने के लिए विवश कर दिया। मरने के बाद भी उनके शरीर को बोरे में बंद कर उफनती भिलंगना में बहा दिया, घर वालों को न सूचना दी गई और न पार्थिव शरीर ही दिया गया।

    आज जन सेवक अपने हित के लिए कुछ करते हैं, जनता का हित देखने की फुर्सत ही नहीं है। ऐसी विभूति/ महानायक को उनके जन्मदिन पर भावभीनी श्रद्धांजलि के साथ कोटि-कोटि नमन करते हुए अपने श्रद्धासुमन सादर समर्पित करता हूं। और ईश्वर से प्रार्थना करता हूं कि एसी विभूति से हमें कुछ न कुछ प्रेरणा अवश्य मिले।