आमपाटा श्रीमद् भागवत कथा: आचार्य हर्षमणि बहुगुणा ने किया भगवान श्री कृष्ण की बाल लीलाओं का अद्भुत वर्णन

495
यहाँ क्लिक कर पोस्ट सुनें

आमपाटा श्रीमद् भागवत कथा में आचार्य हर्षमणि बहुगुणा ने भगवान श्री कृष्ण की बाल लीलाओं का अद्भुत वर्णन करते हुए कहा कि आज की कथा, कथा नहीं रसभरी है, षष्ठी पूजन के दिन बाल घातिनी पूतना का उद्धार, तो अंग परिवर्तन के दिन शकटासुर को मोक्ष, तृणावर्त को मुक्ति, नामकरण, माखन चुराना, मिट्टी का भक्षण कर मां यशोदा को त्रिलोकी का दर्शन करवाना, दधि मन्थन करती मां द्वारा ओखल में बान्धा जाना और यमलार्जुन वृक्षों का उद्धार, फल बेचने वाली पर कृपा, वत्स, बकासुर और अघासुर की मुक्ति, धेनुकासुर व कालिय नाग का मान मर्दन, स्वार्थी राक्षसों को उर्ध्वगति और कौन दे सकता है सिवाय श्रीकृष्ण के, प्रलम्बासुर को उर्ध्वगति के साथ गोवर्धन पर्वत की पूजा सामान्य व्यक्ति के बस में नहीं थी, इसी श्रृंखला में इन्द्र के अहंकार का दमन, साधारण गोपियों की अभिलाषा पूर्ति कर शरदृतु में रास रचना, आज की कथा का रस रास लीला में ही समाहित है। इससे प्रतीत होता है कि यदि साधारण से साधारण गोपियों को भी यह अहंकार हो जाय कि प्रभु तो मेरी मुठ्ठी में हैं तो प्रभु अपना प्रभुत्व दिखा देते हैं और प्रत्येक गोपी को अपनी गलती का अहसास हो ही जाता है। फिर कातर दृष्टि से और डरे मन से क्षमा याचना करती है। कितना अद्भुत है गोपी गीत हर किसी का कण्ठ अवरूद्ध हो जाता है, प्यार से गाइए तो सही आपको लगेगा कि आप व्रज भूमि में पहुंच गए हैं।

जयति तेऽधिकं जन्मना व्रज: श्रयत इन्दिरा शश्वदत्र हि।
दयित दृश्यतां दिक्षु तावकास्त्वयि धृतासवस्त्वां विचिन्वते।।

आह क्या रोचकता है इस प्रसंग में, ऐसा प्रतीत होता है कि जीवन भर इस गीत को ही गाते रहे। और छन्द भी क्या चयन किया “कनक मञ्जरी छन्द

कनक कनक तै सो गुनी मादकता अधिकाय।

फिर होते हैं मेरे कन्हैया प्रकट और जबाव देते हैं गोपियों के मार्मिक प्रश्नों का। ? यह लीला अनुकरणीय नहीं है, पर जिसने भी बिना समझे बूझे, भगवान श्री कृष्ण की लीलाओं का अनुकरण किया, वे स्वयं तो डूबे ही डूबे परन्तु दूसरे अनेक निर्दोष नर नारियों को डुबाने का कारण भी बने।

भागवत तो भगवान का स्वरूप है, भागवत में – सकाम कर्म, निष्कामकर्म, साधन ज्ञान, साधन भक्ति, साध्य भक्ति, वैधी भक्ति,प्रेमा भक्ति, मर्यादा मार्ग, अनुग्रह मार्ग, द्वैत, अद्वैत, द्वैताद्वैत, आदि का रहस्य भरा है। “स्वादु स्वादु पदे पदे” अलौकिक, अतुलनीय विद्या का भण्डार — “विद्या भागवतावधि” भगवत् प्रेम की प्राप्ति के लिए भागवत का पारायण करना सर्वश्रेष्ठ है, क्योंकि यह आशीर्वादात्मक ग्रन्थ है।

और आज के दिन की कथा में ही कंस के आमंत्रण पर भगवान श्री कृष्ण मथुरा में जाते हैं और संसार को कंस के अत्याचार से मुक्त करते हैं। सबकी मनोकामना पूर्ण करने वाले मेरे कन्हैया हम सबका यथेष्ठ करेंगे ऐसी कामना है।
मंगलं भवतु।