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आखिर ऊंचे पहाड़ों पर ही क्यों बने हैं अधिकतर शक्तिपीठ मंदिर, एक वैज्ञानिक रहस्य?

केदार सिंह चौहान 'प्रवर' by केदार सिंह चौहान 'प्रवर'
फ़रवरी 2, 2022
in Featured, कला/संस्कृति
सुप्रसिद्ध श्री घण्टाकर्ण धाम के नव निर्मित मन्दिर का लोकार्पण करेंगे सूबे के मुखिया, विभिन्न विकास योजनाओं का भी होगा लोकार्पण व शिलान्यास

Shri Ghantakarn Dhaam

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शक्तिपीठ एक विश्लेषण

आखिर ऊंचे-ऊंचे पहाड़ों पर ही क्यों बने हैं अधिकतर शक्तिपीठ के सिद्ध मंदिर,- ‘एक वैज्ञानिक रहस्य’*?

 सरहद का साक्षी @आचार्य हर्षमणि बहुगुणा 

*क्या अपने सोचा है? कि हिन्दू धर्म में अधिकतर बड़े सिद्ध धर्मस्थल ऊँचे पहाड़ों पर ही क्यों बने हुए हैं ? आखिर क्या है इसका रहस्य, आखिर क्यों सभी बड़े सिद्ध मंदिर, धर्म स्थल और सिद्ध पीठ के स्थान ऊँचे पहाड़ों पर हैं, और क्यों इन्हें साधारण मानवों से दूर रखने का प्रयास किया गया? आखिर यह स्थल मैदानी इलाकों में भी तो हो सकते थे* ?

*जब ज्ञानपन्थी टीम ने पहाड़ों पर अधिकतर सिद्ध मंदिर और शक्ति पीठ होने की पड़ताल की तो! इसमें कई रहस्यमयी बातें सामने आई, जिससे एक- एक कर इन रहस्यों की परतें खुलती चली गयी।*
*इसी विषय के कई जानकारों से इस बारे में जो बातें सामने आई हैं, वह वास्तव में चौंकाने वाली है। आइये जानते हैं क्या कहा है सिद्धों ने इस बारे में —-*

1– *वास्तव में यह मंदिर नहीं अपितु साधना स्थल हैं:– चौंक गए ना ? सिद्धों के अनुसार यह कोई आम स्थल नहीं हैं, जिस कारण साधना में जल्दी सफलता मिलती है और कालांतर में यही स्थल लोगों के बीच में लोकप्रिय हुए, और लोगों ने इसे मंदिर की तरह प्रयोग किया जिस कारण साधनात्मक पद्धतियां लुप्त होती गयी।*

🚀 यह भी पढ़ें :  आज का इतिहास (11 फरवरी)- समर्पण-दिवस: जब सेल्यूलर जेल राष्ट्र को समर्पित हुई

2– *शोर कोलाहल से दूर :– किसी भी साधना में अत्यधिक एकांत की आवश्यकता होती है और मैदानी इलाकों में यह व्यवस्था नहीं है और क्योंकि पहाड़ी इलाकों में जनसँख्या बहुत ही कम होती है अतः यहाँ साधना करने में सुविधा रहती है।*

3– *प्राक्रतिक उर्जा :– पहाड़ अपने आप में पिरामिड के आकर के होते हैं जहाँ उर्जा का प्रवाह अधिक रहता है इसीलिए शक्ति साधकों को साधनाओं में सफलता आसानी से मिलती है और जिस स्थान पर साधना सिद्ध होती है वही स्थान मंदिर की तरह पूजे जाने लगते हैं।*

4– *अनेक सिद्धों के स्थित होने का प्रभाव :– ऊँचे पहाड़ों में कई सिद्ध भी वास करते हैं जिनका सम्बन्ध भी उस स्थान पर पड़ता है और कहते है न! — कि जिधर भक्त होते हैं भगवान् भी वहीं वास करते हैं, जैसे बद्रीनाथ व केदारनाथ पूरी तरह से सिद्ध स्थल है, जहाँ नर-नारायण ने तपस्या की थी और इसी कारण वहां मंदिर स्थापित हुआ।

🚀 यह भी पढ़ें :  क्वीली प्रखण्ड के बमणगांव में चले नौ दिवसीय पाण्डव नृत्य यज्ञानुष्ठान का पाण्डु पौत्र परीक्षित के राजतिलकोपरान्त स्वर्गारोहण के साथ समापन

5– *प्रकृति के निकट :– प्रकृति के निकट होने और मानव जन से दूर होने के कारण पहाड़ों पर प्राकृतिक सफाई रहती है और प्रकृति के भी निकट रहा जा सकता है जिस कारण देव प्रत्यक्षीकरण भी जल्दी होता है और जिधर देवताओं को प्रत्यक्ष करके उनसे वरदान लिया जाता है वह स्थान अपने आप मंदिर समान बन जाता है।*

6– *लम्बी एवं बड़ी साधनाओं के लिए उपयुक्त :– वीरान और रहस्यमय होने के कारण पहाड़ लम्बी और बड़ी साधनाओं के लिए अधिक उपयुक्त रहते हैं, जिधर सफलता के ज्यादा अवसर भी रहते हैं।*

7– *देव कारण : — शुरू से ही पहाड़ों को देवताओं का भ्रमण स्थल माना गया है और देवताओं का पहाड़ों में सूक्ष्म रूप से वास भी कहा गया है।*

8– *वरदान :– पुराणों में एतिहासिक रूप से वर्णित है कि कई पहाड़ों को देव शक्तियों का निवास स्थल होने का वरदान भी प्राप्त है जिसके कारण कई पर्वत श्रृंखलाएं वन्दनीय भी है।*

9– *स्वास्थ्य कारक :– आपने देखा होगा कि पहाड़ों पर रहने वालों का स्वास्थ्य, मैदानी इलाकों में रहने वालों के मुकाबले ज्यादा मजबूत होता है और यही कारण है कि ऐसे स्थानों पर अध्यात्मिक ज्ञान का विकास भी जल्दी होता है।*

🚀 यह भी पढ़ें :  उत्तराखंड के लोकपर्व एकाश बग्वाल को यह व्रत कर भक्त अपने उद्धार की कामना करते हैं

10– *मौसम :- मैदानी इलाकों में मौसम जल्दी -जल्दी बदलता है लेकिन अधिकतर पहाड़ी स्थानों पर मौसम एक सा रहता है और यह एक सबसे बड़ी वजहों में से एक है , – क्योंकि अधिकतर ऋषि मुनि पहाड़ों पर ही वास करते हैं, जिससे कि उनका अधिकतर समय मौसम की प्रतिकूलता की तैयारी में ही नष्ट न हो जाएं।

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