तुलसी के महत्वपूर्ण औषधीय एवं उपयोगी गुणों पर एक नजर

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प्रतिदिन तुलसी पत्र से पूजा करने से व्रत, यज्ञ, जप होम, हवन करने का पुण्य प्राप्त होता है।
Tulsi
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आज तुलसी के विषयक कुछ जानकारियों पर चर्चा का विषय बना रहे हैं। इस पर ध्यान देने से हमारी अनेकों परेशानियां दूर होंगी।

तुलसी का पौधा बता देगा, हम पर कोई मुसीबत आने वाली है।

क्या आपने कभी इस बात पर ध्यान दिया कि आपके घर, परिवार या आप पर कोई मुसीबत आने वाली होती है और उसका असर सबसे पहले आपके घर में स्थित तुलसी के पौधे पर होता है। आप उस पौधे का कितना भी ध्यान रखें धीरे-धीरे वो पौधा सूखने लगता है। तुलसी का पौधा ऐसा है जो आपको पहले ही बता देगा कि आप पर या आपके घर परिवार को किसी मुसीबत का सामना करना पड़ सकता है।

[su_highlight background=”#880e09″ color=”#ffffff”]सरहद का साक्षी @आचार्य हर्षमणि बहुगुणा[/su_highlight]

पुराणों और शास्त्रों के अनुसार माना जाए तो ऐसा इसलिए होता है कि जिस घर पर मुसीबत आने वाली होती है उस घर से सबसे पहले लक्ष्मी यानी तुलसी चली जाती है। क्योंकि दरिद्रता, अशांति या क्लेश जहां होता है वहां लक्ष्मी जी का निवास नहीं होता। अगर ज्योतिष की मानें तो ऐसा बुध के कारण होता है। बुध का प्रभाव हरे रंग पर होता है और बुध को पेड़ पौधों का कारक ग्रह माना जाता है।

बुध ऐसा ग्रह है जो अन्य ग्रहों के अच्छे और बुरे प्रभाव जातक तक पहुंचाता है। अगर कोई ग्रह अशुभ फल देगा तो उसका अशुभ प्रभाव बुध कारक वस्तुओं पर भी होता है। अगर कोई ग्रह शुभ फल देता है तो उसके शुभ प्रभाव से तुलसी का पौधा उत्तरोत्तर बढ़ता रहता है।

बुध के प्रभाव से पौधे में फल फूल लगने लगते हैं।*
प्रतिदिन चार पत्तियां तुलसी की सुबह खाली पेट ग्रहण करने से मधुमेह, रक्त विकार, वात, पित्त आदि दोष दूर होने लगते हैं, मां तुलसी के समीप आसन लगा कर यदि कुछ समय प्रतिदिन बैठा जाय तो श्वास के रोग अस्थमा आदि से जल्दी छुटकारा मिलता है।

घर में तुलसी के पौधे की उपस्थिति एक वैद्य के समान तो है ही यह वास्तु के दोष को भी दूर करने में सक्षम है हमारे शास्त्र इस के गुणों से भरे पड़े हैं ।

जन्म से लेकर मृत्यु तक काम आती है तुलसी...
” कभी सोचा है कि मामूली सी दिखने वाली यह तुलसी हमारे घर या भवन के समस्त दोषों को दूर कर हमारे जीवन को निरोग एवम् सुखमय बनाने में सक्षम है माता के समान सुख प्रदान करने वाली तुलसी का वास्तु शास्त्र में विशेष स्थान है हम ऐसे समाज में निवास करते है कि सस्ती वस्तुएं एवम् सुलभ सामग्री को शान के विपरीत समझने लगते हैं, महंगी चीजों को हम अपनी प्रतिष्ठा मानते हैं कुछ भी हो तुलसी का स्थान हमारे शास्त्रों में पूजनीय देवी के रूप में है तुलसी को मां शब्द से अलंकृत कर हम नित्य इसकी पूजा आराधना भी करते हैं इसके गुणों को आधुनिक रसायन शास्त्र भी मानता है इसकी हवा तथा स्पर्श एवम् इसका उपभोग दीर्घ आयु तथा स्वास्थ्य लाभ विशेष रूप से वातावरण को शुद्ध करने में सक्षम होता है शास्त्रानुसार तुलसी के विभिन्न प्रकार के पौधे मिलते हैं, उनमें श्रीकृष्ण तुलसी, लक्ष्मी तुलसी, राम तुलसी, भू तुलसी, नील तुलसी, श्वेत तुलसी, रक्त तुलसी, वन तुलसी, ज्ञान तुलसी मुख्य रूप से विद्यमान है सबके गुण अलग अलग है, शरीर में नाक कान वायु कफ ज्वर खांसी और दिल की बीमारिओं पर खास प्रभाव डालती है।
वास्तु दोष को दूर करने के लिए तुलसी के पौधे अग्नि कोण अर्थात् दक्षिण-पूर्व से लेकर वायव्य उत्तर-पश्चिम तक के खाली स्थान में लगा सकते है यदि खाली जमीन ना हो तो गमलों में भी तुलसी को स्थान दे कर सम्मानित किया जा सकता है।”

तुलसी का गमला रसोई के पास रखने से पारिवारिक कलह समाप्त होती है पूर्व दिशा की खिड़की के पास रखने से पुत्र यदि जिद्दी हो तो उसकी हठ दूर होती है, यदि घर की कोई सन्तान अपनी मर्यादा से बाहर है अर्थात् नियंत्रण में नहीं है तो पूर्व दिशा में रखे तुलसी के पौधे में से तीन पत्ते किसी ना किसी रूप में सन्तान को खिलाने से सन्तान आज्ञानुसार व्यवहार करने लगती है।

कन्या के विवाह में विलम्ब हो रहा हो तो अग्नि कोण में तुलसी के पौधे को कन्या नित्य जल अर्पण कर एक प्रदक्षिणा करने से विवाह जल्दी और अनुकूल स्थान में होता है सारी बाधाए दूर होती है।

यदि कारोबार ठीक नहीं चल रहा तो दक्षिण-पश्चिम में रखे तुलसी कि गमले पर प्रति शुक्रवार को सुबह कच्चा दूध अर्पण करें व मिठाई का भोग रख कर किसी सुहागिन स्त्री को मीठी वस्तु देने से व्यवसाय में सफलता मिलती है।

नौकरी में यदि उच्चाधिकारी की वजह से परेशानी हो तो ऑफिस में खाली जमीन या किसी गमले आदि जहाँ पर भी मिटटी हो वहां पर सोमवार को तुलसी के सोलह बीज किसी सफेद कपड़े में बाँध कर सुबह दबा दें सम्मान की वृद्धि होगी। नित्य पंचामृत बना कर यदि घर कि महिला शालिग्राम का अभिषेक करती है तो घर में वास्तु दोष हो ही नहीं सकता।

(समस्त उपाय अवश्य करें)
” *असाध्य रोगों को भी जड़ से खत्म करने में सक्षम तुलसी अत्यंत महत्वपूर्ण एवं उपयोगी पौधा है। इसके सभी भाग अलौकिक शक्ति और तत्वों से परिपूर्ण माने गए हैं। तुलसी के पौधे से निकलने वाली सुगंध वातावरण को शुद्ध रखने में तो अति महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, भारत में आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति में भी तुलसी का बहुत महत्वपूर्ण स्थान रहा है। तुलसी का सदियों में औषधीय रूप में प्रयोग होता चला आ रहा है। तुलसी दल का प्रयोग खांसी, विष, श्वांस, कफ, बात, हिचकी और भोज्य पदार्थों की दुर्गन्ध को दूर करता है। इसके अलावा तुलसी बलवर्धक होती है तथा सिरदर्द स्मरण शक्ति, आंखों में जलन, मुंह में छाले, दमा, ज्वर, पेशाब में जलन व विभिन्न प्रकार के रक्त व हृदय संबंधी बीमारियों को दूर करने में भी सहायक है। तुलसी में छोटे-छोटे रोगों से लेकर असाध्य रोगों को भी जड़ में खत्म कर देने की अद्भुत क्षमता है। इसके गुणों को जानकर और तुलसी का उचित उपयोग कर हमें अत्यधिक लाभ मिल सकता है।

तुलसी के महत्वपूर्ण औषधीय एवं उपयोगी गुणों पर एक नजर

1– श्वेत तुलसी बच्चों के कफ विकार, सर्दी, खांसी इत्यादि में लाभदायक है।
2– कफ निवारणार्थ तुलसी को काली मिर्च पाउडर के साथ लेने से बहुत लाभ होता है।
3– गले में सूजन तथा गले की खराश दूर करने के लिए तुलसी के बीज का सेवन शक्कर के साथ करने से बहुत राहत मिलती।
4– तुलसी के पत्तों को काली मिर्च, सौंठ तथा चीनी के साथ पानी में उबालकर पीने में खांसी, जुकाम, फ्लू और बुखार में फायदा पहुंचता है।
5— पेट में दर्द होने पर तुलसी रस और अदरक का रस समान मात्रा में लेने से दर्द में राहत मिलती है। इसके उपयोग से पाचन क्रिया में भी सुधार होता है।
6— कान के साधारण दर्द में तुलसी की पत्तियों का रस गुनगुना करके डालें।
7— नित्य प्रति तुलसी की पत्तियां चबाकर खाने से रक्त साफ होता है।
8— चर्म रोग होने पर तुलसी के पत्तों के रस को नींबू के रस में मिलाकर लगाने से फायदा होता है।
9– तुलसी के पत्तों का रस पीने से शरीर में ताकत और स्मरण शक्ति में वृद्धि होती है।
10– प्रसव के समय स्त्रियों को तुलसी के पत्तों का रस देन से प्रसव पीड़ा कम होती है।
11— तुलसी की जड़ का चूर्ण पान में रखकर खिलाने से स्त्रियों का अनावश्यक रक्तस्राव बंद होता है।
12— जहरीले कीड़े या सांप के काटने पर तुलसी की जड़ पीसकर काटे गए स्थान पर लगाने से दर्द में राहत मिलती है।
13— फोड़े फुंसी आदि पर तुलसी के पत्तों का लेप लाभदायक होता है।
14— तुलसी की मंजरी और अजवायन लेने से चेचक का प्रभाव कम होता है।
15— सफेद दाग, झांइयां, कील, मुंहासे आदि हो जाने पर तुलसी के रस में समान भाग नींबू का रस मिलाकर 24 घंट तक धूप में रखें। थोड़ा गाढ़ा होने पर चेहरे पर लगाएं। इसके नियमित प्रयोग से झांइयां, काले दाग, कीलें आदि नष्ट होकर चेहरा बेदाग हो जाता है।
16— तुलसी के बीजों का सेवन दूध के साथ करने से पुरुषों में बल, वीर्य और संतोनोत्पति की क्षमता में वृध्दि होती है।
17—- तुलसी का प्रयोग मलेरिया बुखार के प्रकोप को भी कम करता है।
18— तुलसी का शर्बत, अबलेह इत्यादि बनाकर पीने से मन शांत रहता है।
19—- आलस्य निराशा, कफ, सिरदर्द, जुकाम, खांसी, शरीर की ऐठन, अकड़न इत्यादि बीमारियों को दूर करने के लिए तुलसी की चाय का सेवन करें।

20— धूम्रपान का त्याग अस्थमा में बचाव :— अस्थमा की संभावना को कम करने के लिये तथा उस पर नियंत्रण पाने के लिये सबसे जरूरी है धूम्रपान का त्याग। यह न केवल धूम्रपान करने वाले व्यक्ति के स्वास्थ्य को बुरी तरह प्रभावित करता है बल्कि उसके आसपास रहने वाले व्यक्ति भी इसके बुरे प्रभाव से बचे नहीं रहते। इसके अलावा अस्थमा के दौरे पर नियंत्रण के लिये किसी अच्छे चिकित्सक की सलाह अवश्य लें। साफ व प्रदूषणरहित वातावरण में रहें। जिस खाद्य या पेय पदार्थ से आपको एलर्जी है, उसका सेवन न करें। पालतू पशुओं से दूरी बनाए रखें।

21— अच्छी नींद के लिये :— नींद के प्रति सकारात्मक रवैये अधिक महत्वपूर्ण है बजाय कृत्रिम उपायों द्वारा नींद लेने के।
अच्छी नींद के लिये इन उपायों पर गौर कीजिए ” :
अनिद्रा रोग में निद्रा न आने की चिन्ता से तबीयत बिगड़ती है। आप आराम से लेटे रहिये और इस बात की चिन्ता मत कीजिए कि आपको नींद नहीं आती
– प्रयत्न कीजिए कि सोने से पहले आप दिनभर की कठिनाइयों और आने वाले कल के बारे में न सोचें।
कोई अच्छी पुस्तक पढ़ने का यत्न कीजिए। इससे अनिद्रा या चिन्ता संबंधी विचार एक तरफ हट जाएंगे और नींद आ जाएगी

शहद के कुछ औषधीय प्रयोग
– शहद आंतों को शक्ति और बल प्रदान करता है। शहद का सेवन करने से आंतों में विषाक्त द्रव्य जमा नहीं होते। यह कृमियों को भी मारता है।
– पुराने रोग, पुरानी कब्ज, अतिसार तथा प्रवाहिका के लिये भी शहद उपयोगी सिद्ध होता है।
– शहद के सेवन से छाती में जमा बलगम सरलता से बाहर निकल जाता है। इससे दमा व खांसी के रोगी को बहुत राहत मिलती है।
शहद क्षय रोग में भी लाभ पहुंचाता है।”
‘शहद के सेवन से दिमाग तरोताजा और तंदरुस्त रहता है। शहद उन लोगों के लिए तो बहुत लाभप्रद है, जो दिमागी कार्य करते हैं’।

कुछ मित्रों ने इसे अन्ध विश्वास करार दिया है, ये उनकी सोच हो सकती है | इसमें किसी को बाध्य भी नहीं किया गया है । तुलसी की देखभाल , उपाय के बारे में जानकारी दी गई है । यह तो पुराणों में भी लिखा हुआ है कि तुलसी का महत्व क्या है । हिन्दू होकर भी अगर प्रतिकूल विचार रखते हैं तो ऐसे लोग धन्य हैं