सेवा के दौरान भी और सेवानिवृत्ति के बाद भी सतत सेवा का उदाहरण हैं ले.कर्नल गंभीर सिंह रौतेला

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सेवा के दौरान भी और सेवानिवृत्ति के बाद भी सतत सेवा का उदाहरण हैं ले.कर्नल गंभीर सिंह रौतेला
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सेवा के दौरान भी और सेवानिवृत्ति के बाद भी सतत सेवा का उदाहरण हैं ले.कर्नल गंभीर सिंह रौतेला

सेवा के दौरान भी और सेवानिवृत्ति के बाद भी सतत सेवा का उदाहरण हैं ले.कर्नल गंभीर सिंह रौतेला। यूं तो संपूर्ण उत्तराखंड देवभूमि के साथ-साथ वीरों की भूमि भी है। जिन वीरों को अतीत से आधुनांत तक हम इतिहास पढ़ते हैं। उनके स्मारकों पर फूल मालाएं चढ़ाते हैं। शौर्य दिवस, विजय दिवस अनेक पर्व पर उनको याद करते हैं और उनकी सेवाओं को सलाम करते।

माधो सिंह भंडारी, पंडित बंधु (किशन सिंह, चैन सिंह रावत) विक्टोरिया क्रॉस गबर सिंह नेगी, विक्टोरिया क्रॉस दर्मियान सिंह नेगी, महावीर चक्र बाबा जसवंत सिंह रावत, तीलू रौतेली, वीरमाता जियारानी, बद्री सिंह नेगी, मेजर शैतान सिंह आदि असंख्य ऐसे नाम है जो कि आज इतिहास के पृष्ठ हैं।

@सोमवारी लाल सकलानी ‘निशांत’

वीर भूमि चंबा क्षेत्र के इर्द-गिर्द ग्राम मंजूड , बड़ा स्यूटा , जड़धार गांव, गुल्डी आदि अनेकों ऐसे गांव है जो कि वीर सैनिकों की जन्मस्थली रही हैं। गढ़वाल में जहां हम सवाडगांव के बारे में जानते हैं, पुंडीरों के ग्वाड के बारे में जानते हैं, गढ़वाल कुमाऊँ के अनेक सैन्य वीरों के क्षेत्रों से परिचित हैं वहीं चंबा से सटा हुआ कुजणी का क्षेत्र ग्राम टिपली रामपुर, चौंंपा आदि का नामोउल्लेख करना लाजमी है।

आज भी जब कुछ वीर सैनिकों से रूबरू होता हूं तो गौरव महसूस करता हूं। शौर्य और कीर्ति चक्र प्राप्त कर्नल अजय कोठियाल हों या कुछ समय पूर्व शहीद हुए रामपुर के अजय रौतेला हों जिन्हें करीब से जानता हूं या जानता था। इसी अनुक्रम अपने ननिहाल के एक वीर सैनिक लेफ्टिनेंट कर्नल गंभीर सिंह रौतेला जी से मुलाकात हहुई है और शौर्य और पराक्रम की गाथायें सुनने को मिली।

मेरे पिताजी द्वितीय विश्व युद्ध के जांबाज सैनिक रहे हैं और वीरता और शौर्य की उनके मुख से अनेकों बातें सुनी। आज भी उन बातों को जब सैनिकों के मुंह से सुनता हूं, सीना चौड़ा हो जाता है और वीरों के प्रति कृतज्ञता का भाव उत्पन्न होता है।

ले.कर्नल गंभीर सिंह रौतेला, मेरे ननिहाल टिपली गांव से हैं। स्वर्गीय जीत सिंह रौतेला तथा विमला देवी के तीन पुत्रों में से एक हैं। 13 दिसंबर 1977 को सिफाई के रूप में सेना में भर्ती हुए। सूबेदार तक प्रोन्नत हुए। 02 नवंबर 1995 को सेना में कमीशन लिया और दिसंबर 2007 को रिटायर हो गए।

63 वर्षीय सिंह रौतेला आज भी एक नवयुवक की तरह कार्य, व्यवहार और व्यक्तित्व से जाने जाते हैं। कुछ दिन पहले उनके घर पर जाकर उनसे भेंट हुई और अनेक बातों पर चर्चा की। ले.कर्नल गंभीर सिंह रौतेला 2पैरा स्पेशल फोर्सेज में सिपाही से लेकर अधिकारी तक कार्यरत रहे हैं।

वर्तमान में गुड़गांव में रहते हैं लेकिन अपने गांव और क्षेत्र में उनका आना-जाना निरंतर लगा रहता है। कर्नल साहब सेवानिवृत्त होने के बाद लोगों की सेवा में तत्पर रहते हैं। एक उदाहरण ही पर्याप्त है।

दशकों पूर्व बड़ा स्यूटा में उमा देवी के पति स्व. त्रिलोक सिंह पुंडीर,जो 9- असम राइफल के सिपाही थे, सन 1980 में घर आते वक्त लापता हो गए थे सेना ने उन्हें भगोड़ा घोषित कर दिया था। 1980 से 2015 तक उनके परिवारजनों ने कष्ट पूर्ण जीवन व्यतीत किया। पेंशन, सेवालाभ कुछ भी नहीं मिल सका।

यह प्रकरण जब सेवानिवृत्त ले. कर्नल गंभीर सिंह रौतेला जी के संज्ञान में आया तो उन्होंने संबंधित पैरामिलेट्री के ले. जर्नल रमेश कुमार तथा उनके मित्र वकील से पत्राचार किया। इग्जेक्युटिव डायरेक्टर से इस प्रकरण में फरियाद की गई।

दोबारा कोर्ट ऑफ इंक्वायरी बैठी और निर्णय हुआ “मिसिंग परज्यूम डेड” तदोपरांत टिहरी कोर्ट में भी इन से संबंधित केसे चलता रह बाद में ऑडिट से भी क्लेयर हो गया और 2019 में 14.5 लाख रुपए एरियर के रूप में 12.5 मासिक पेंशन परिवार को दिलवायी।

लेफ्टिनेंट कर्नल गंभीर सिंह रौतेला (सेवानिवृत्त) के प्रयास के कारण ही यह संभव हो सका। ऐसे महान व्यक्तित्व को भला कौन सलाम नहीं करेगा। सेना में रहते हुए देश की सेवा की और सेवानिवृत्ति के बाद भी वीर सैनिकों, वीरांगनाओं, वीर माताओं की सेवा करने के प्रति संवेदनशील है।

ले. कर्नल गंभीर सिंह रौतेला को चम्बा क्षेत्र तथा इलाके में बड़े सम्मान के साथ लोग आदर देते हैं और जब वह घर आते हैं तो बड़ी संख्या में पूर्व सैनिक उनसे भेंट करते हैं। अपनी समस्यायें रखते हैं। उनसे भेंट के दौरान पूर्व सैनिक संगठन के संरक्षक इंद्र सिंह, पूर्व सैनिक हवालदार विक्रम सिंह भंडारी, पूर्व सैनिक रणवीर सिंह रौतेला, पूर्व सैनिक वचन सिंह भंडारी आदि उनके घर पर मौजूद थे। मेरा भी सौभाग्य है कि लेफ्टिनेंट कर्नल अजय रौतेला मेरे ननिहाल के वाशिंदे है। जय हिंद।

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