श्री देव सुमन की जयंती के अवसर पर अर्थशास्त्र विभागीय परिषद द्वारा जलवायु परिवर्तन पर व्याख्यानमाला का आयोजन

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श्री देव सुमन की जयंती के अवसर पर अर्थशास्त्र विभागीय परिषद द्वारा जलवायु परिवर्तन पर व्याख्यानमाला का आयोजन
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श्री देव सुमन की जयंती के अवसर पर अर्थशास्त्र विभागीय परिषद द्वारा जलवायु परिवर्तन पर व्याख्यानमाला का आयोजन

ऋषिकेश पंडित ललित मोहन शर्मा श्री देव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय परिसर ऋषिकेश में श्री देव सुमन की जयंती के अवसर पर अर्थशास्त्र विभाग की विभागीय परिषद के द्वारा जी-20 कि थीम के अंतर्गत जलवायु परिवर्तन विषय पर व्याख्यानमाला का आयोजन किया गया।

व्याख्या माला में मुख्य वक्ता वनस्पति विभाग के प्रो विद्याधर पांडे एवं पर्यावरण विद एवं सामाजिक कार्यकर्ता श्री विनोद जुगलान उपस्थित रहे कार्यक्रम की अध्यक्षता परिसर के प्राचार्य प्रो महावीर सिंह रावत द्वारा की गई, प्राचार्य एवं अतिथियों, प्राध्यापकों द्वारा श्री देव सुमन की जयंती के अवसर पर पुष्प चढ़ाकर श्रद्धा सुमन अर्पित की गई।

श्री देव सुमन की जयंती के अवसर पर अर्थशास्त्र विभागीय परिषद द्वारा जलवायु परिवर्तन पर व्याख्यानमाला का आयोजनव्याख्यानमाला के संयोजक डॉ अशोक कुमार मैन्दोला द्वारा श्री देव सुमन के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर छात्र छात्राओं को संबोधित किया, अतिथियों का स्वागत करते हुए अर्थशास्त्र की विभागाध्यक्ष प्रो पुष्पांजलि आर्य द्वारा जलवायु परिवर्तन विषय पर व्याख्यानमाला के आयोजन पर विस्तृत चर्चा की प्राचार्य प्रो रावत ने अपने अध्यक्षीय संबोधन में छात्र छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा हिमालय के पहाड़ों पर जलवायु परिवर्तन की वजह से दिक्कत होने वाली है, इससे सिर्फ 142 करोड़ लोग प्रभावित नहीं होंगे, बल्कि आर्थिक विकास रुकेगा, साथ ही ऊर्जा की समस्या बढ़ जाएगी जलवायु परिवर्तन का मुख्य कारण मनुष्य ही है।

सामान्यतः जलवायु में परिवर्तन कई वर्षों में धीरे धीरे होता है। लेकिन मनुष्य के द्वारा पेड़ पौधों की लगातार कटाई और जंगल को खेती या मकान बनाने के लिए उपयोग करने के कारण इसका प्रभाव जलवायु में भी पड़ने लगा है। विषय विशेषज्ञ प्रो पांडे ने अपने संबोधन ने कहा दशकों, सदियों या उससे अधिक समय में होने वाली जलवायु में दीर्घकालिक परिवर्तनों से है।

यह मुख्य रूप से जीवाश्म ईंधन को जलाने के कारण पृथ्वी के वातावरण में तेजी से बढ़ती ग्रीनहाउस गैसों के कारण होता जलवायु परिवर्तन भूमि और समुद्र में प्रजातियों के अस्तित्व के लिए जोखिम पैदा करता है।

तापमान चढ़ने के साथ ये जोखिम बढ़ते हैं। जलवायु परिवर्तन की वजह से, दुनिया दर्ज मानव इतिहास में किसी भी अन्य समय की तुलना में 1,000 गुना अधिक दर से प्रजातियों को खो रही है।

हमें अपनी आदतों को बदलना पड़ेगा विमान और पेट्रोल के वाहन छोड़िए और बस, ट्रेन या साइकिल से चलिए मांस नहीं, फल सब्जी और अनाज खाइये हरित ऊर्जा और जहां संभव है वहां अक्षय ऊर्जा का इस्तेमाल करिए लाइट बंद और हीटिंग कम कीजिए खाना बेकार ना जाने दीजिए पेड़ लगाइये पर्यावरणविद विनोद जुगलान ने अपने संबोधन में कहा की क्रांतिकारी श्री देव सुमन के जन्मदिन दिन पर लें हिमालय संरक्षण का संकल्प।

यह उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि होगी कि हम पहाड़ को बचाने के लिए आगे आएं।इसके लिए शिक्षा के साथ साथ संस्कारों का पोषण जरूरी है।जिस देश की संस्कृति और प्रकृति समृध्द होगी वह देश समृद्ध बनेगा।

इस अवसर पर प्रो शांति प्रकाश सती, प्रो तेज बहादुर सिंह, डॉ पूनम पाठक, डॉ शिखा मंगाई, प्रो हेमलता मिश्रा, प्रो संगीता मिश्रा, प्रो इंदु तिवारी, डॉ अरुणा पी सूत्रधार, प्रो अंजनी प्रसाद दुबे, डॉ सुनीति कुमार कुरियल डॉ अटल बिहारी त्रिपाठी, डॉ पुष्कर गौड़, डॉ धीरेंद्र सिंह यादव, प्रो दीपा शर्मा, प्रो स्मिता बडोला, डॉ जयप्रकाश कंसवाल, चंदेश्वरी नेगी, रीना रयाल, हिमानी नौटियाल, महिपाल सिंह छात्रसंघ पदाधिकारी एवं छात्र छात्राएं उपस्थित रहे I

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