विधाता के लिखे को यदि कोई बदल सकता है तो वह हैं महादेव : आचार्य कृष्णानन्द उनियाल

212
विधाता के लिखे को यदि कोई बदल सकता है तो वह हैं महादेव : आचार्य कृष्णानन्द उनियाल
विधाता के लिखे को यदि कोई बदल सकता है तो वह हैं महादेव : आचार्य कृष्णानन्द उनियाल
यहाँ क्लिक कर पोस्ट सुनें

विधाता के लिखे को यदि कोई बदल सकता है तो वह हैं महादेव

विधाता के लिखे को यदि कोई बदल सकता है तो वह हैं महादेव। यह बात जगधार (मखलोगी) टिहरी गढ़वाल में गतिमान श्रीमद् भागवत महापुराण सप्ताह ज्ञान यज्ञ के दूसरे दिन व्यासपीठ से आचार्य श्री कृष्णानंद उनियाल ने कही। श्रोताओं का भरपूर ज्ञानार्जन करते हुए ज्ञान कथा यज्ञ के अवसर पर उन्होंने कहा कि विधाता के लिखे को यदि कोई बदल सकता है तो वह महादेव हैं।

रिपोर्ट: सोमवारी लाल सकलानी ‘निशांत’

भगवान कृष्ण की लीला और महिमा का बखान करते हुए उन्होंने अनेकों स्थलों पर शिव महिमा का भी वर्णन किया। अनेक रोचक कथाएं श्रोताओं को सुनाई।आज कथा की शुरुआत करते हुए कहा कि मनुष्य को अपने जीवन में अर्पण, दर्पण और समर्पण तीनों भावनाओं से ओतप्रोत होना चाहिए और ईश्वर से नाता जोड़ना चाहिए चाहे वह किसी भी रुप में क्यों न हो। व्यक्ति का ईश्वर से संबंध माता- पिता के रूप में हो सकता है, बेटी और बहन के रूप में हो सकता है, आदर्श के रूप में हो सकता है या वात्सल्य के रूप में हो सकता है।

प्रसंगानुसार अनेक कथाओं को आधार बनाते हुए कहा कि बड़ों का आदर करना, छोटों का कर्तव्य है। परिवार में यदि छोटे व्यक्ति बड़ों का और बुजुर्गों का आदर नहीं करते तो समझो कि कलियुग आ गया तथा घर नर्क बन गया। शास्त्रीय कथाओं के साथ-साथ अनेक व्यावहारिक बिषयों पर भी ज्ञान चर्चा की। कहा कि परिवार के समस्त सदस्य सम्मिलित होकर के कुछ क्षण ईश्वर की उपासना के लिए अवश्य निकालें। परिवार के सदस्यों का आपस में सौहार्दपूर्ण व्यवहार होना चाहिए।

एक प्रसंग में व्यास जी ने कहा कि आधुनिक युग में हम हर समय मैचिंग पर ध्यान देते हैं। चाहे वह वस्त्र हो या गृहोंपकरण या आधुनिक सुख-सुविधाओं की चीजें। सजावट की वस्तुएं या स्वयं का श्रृंगार आदि लेकिन जब तक घर में विचारों की मैचिंग ना हो तब तक सब निरर्थक है और पारिवारिक जीवन नारकीय बन जाता है। इसलिए विचारों के आदान-प्रदान और एक दूसरे की भावनाओं को समझने के लिए संयुक्त रूप से प्रयास करना जरूरी है।

आज ऋषि पाराशर और सत्यवती के कथा, व्यास जी का जन्म, नारद मुनि से संबंधित वृतांत, श्रवण कुमार की कथा की ज्ञान यज्ञ में विस्तृत चर्चा की गई।

आचार्य जी ने कहा कि भूल कर भी बुजुर्गों से भेदभाव न करें बल्कि उनके साथ स्नेह का व्यवहार करें। आदर का व्यवहार करें। यही भागवत का सार है। ज्ञान, प्रेम और व्यावहार की बातों को धरातल पर उतारते की शिक्षा दी। उन्होंने भगवान कृष्ण और सदा शिव जी के अनेकों उद्धरण प्रस्तुत किए।

कहा,”गंगा स्नान करने से पुण्य फल तो मिलता है लेकिन पापों का नाश नहीं हो सकता।यदि गंगा स्नान करने से पापों का नाश हो जाता तो पितामह भीष्म तो स्वयं गंगा पुत्र थे फिर क्यों सरशैैय्या पर लेटना पड़ा और आजीवन कष्टों से रूबरू होना पड़ा?

ज्ञान कथा का आयोजन श्री डिमेश्वर प्रसाद कोठारी, श्री दयानंद कोठारी, श्री अनंत राम कोठारी, श्री रोशनलाल कोठारी, अपनी पूज्य माता जी स्वर्गीय सोनी देवी धर्मपत्नी स्वर्गीय लच्छीराम कोठारी की वार्षिक एकोदिष्ट पुण्यतिथि के अवसर पर समस्त कुल पित्रों की पुण्य मोक्षकामना हेतु अपने निवास स्थान पर आयोजित कर रहे हैं। यह 21 फरवरी 2023 को संपन्न होगा और उसी दिन दोपहर पित्रभोज का भी आयोजन किया जाएगा।

Comment