लघु कविता : झील में ज्यों श्री सुमन लेटा !

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    लघु कविता : झील में ज्यों श्री सुमन लेटा !
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    रात्रि के प्रथम प्रहर में,
    शरद ऋतु अवसान में।
    दिवाली के ठीक पहले,
    है दमकती प्रकाश में।

    चंबा की सुमन कालोनी,
    नहाती विधुत प्रकाश में।
    चीरकर तम- तिमिर को ,
    नहाती कृत्रिम प्रकाश में।

    दृष्टिगोचर कुछ भी नहीं है,
    केवल दूर से अहसास है।
    श्यामवर्णा संध्या सुंदरी के,
    हंसते अधर उज्जवल दांत हैं।

    बिम्ब बनते अब ना निशा में,
    ना चांद सूर्य रश्मि प्रकाश है।
    झील में ज्यों श्री सुमन लेटा,
    बस! निशांत का पूर्वाभास है।

    [su_highlight background=”#091688″ color=”#ffffff”] सरहद का साक्षी, @कवि:सोमवारी लाल सकलानी, निशांत[/su_highlight]

    (कवि कुटीर)
    सुमन कालोनी चंबा, टिहरी गढ़वाल।