बारिश पर भारी आस्था: मां सुरकंडा देवी पहुंची मायके जड़धार गांव में ग्रामीणों ने किया भव्य स्वागत

645
बारिश पर भारी आस्था: मां सुरकंडा देवी पहुंची मायके जड़धार गांव में ग्रामीणों ने किया भव्य स्वागत
यहाँ क्लिक कर पोस्ट सुनें

बारिश पर भारी आस्था: मां सुरकंडा देवी पहुंची मायके

ग्रामीणों ने मां के दर्शन कर पुण्य लाभ किए अर्जित

बारिश पर भारी आस्था: मां सुरकंडा देवी का अपने मायके जड़धार गांव पहुंचने पर ग्रामीणों द्वारा भव्य स्वागत किया गया। भारी बारिश के बावजूद भी मां के जयकारों से वातावरण गूंज उठा। लोगों ने मां के दर्शन कर पुण्य लाभ अर्जित किया।

मंगलवार को दोपहर बाद माँ सुरकंडा देवी अपने भक्तों व पुजारियों के साथ अपने मायके जड़धार गांव पहुंची। जहां बारिश के बावजूद भी भारी संख्या में मौजूद ग्रामीणों ने मां भगवती का ढोल नगाड़ो के साथ भव्य स्वागत किया। इस मौके पर बड़े बुजुर्ग से लेकर छोटे बच्चे तक सभी ने मां के जयकारे लगाए।

गांव स्थित मां के मंदिर में मां सुरकंडा की प्रतिमा को विधिवत पूजा-अर्चना के बाद रखा गया। इससे पूर्व हवन कर पंचगव्य के द्वारा मंदिर का शुद्धीकरण कर दिया गया था। इस मौके पर ढोल वादकों ने ढोल की थाप पर मां की स्तुति की और क्षेत्र की सुख समृद्धि की मन्नत मांगी। लोगों ने बारी-बारी से मां के दर्शन कर पुण्य लाभ अर्जित किया। बताते चलें कि बीते 20 मार्च को जड़धार गांव के लोग मां सुरकंडा को लेने सुरकुट पर्वत गए, जहां से वे करीब 18 किलोमीटर की पैदल दूरी तय कर मां सुरकंडा को गांव लाए। मां के प्रति ग्रामीणों में इतनी श्रद्धा दिखाई दी कि भारी बारिश के बावजूद भी भीगते हुए ग्रामीण देवी को गांव लाए।

इस मौके पर ग्राम प्रधान प्रीती जड़धारी, मंदिर समिति के अध्यक्ष जीत सिंह जड़धारी, क्षेत्र पंचायत सदस्य सुखपाल सिंह जड़धारी, समाज सेवी विजय जड़धारी, उत्तम जड़धारी, सुंदर सिंह, सुमेर सिंह, कलम सिंह, मनवीर सिंह, वीर सिंह, सोहन सिंह आदि ग्रामीण मौजूद रहे।

यह है परंपरा और मान्यता

चंबा प्रखंड के जड़धार गांव के लोगों को मां सुरकंडा देवी का मैती अर्थात मायके वाला माना जाता है। गांव के लोग हर तीसरे वर्ष नवरात्र के मौके पर मां सुरकंडा को गांव बुलाते हैं।

नवरात्र में 9 दिन देवी मायके में रहती है और अंतिम दिन नवरात्र के समापन पर मां को मंदिर के लिए विदा किया जाता है। इस दौरान गांव में मां की पूजा अर्चना की जाती है और क्षेत्र के अन्य गांव के लोग भी मां के दर्शन कर पुण्य लाभ अर्जित करते हैं।

देवी की भौतिक उपस्थिति के रूप में सुरकुट पर्वत स्थित मंदिर से मां की प्रतिमा को चुनरी आभूषण आदि से सुसज्जित कर सिर पर रखकर गांव लाया जाता है।

खास बात यह है कि इसे गांव के लोग नंगे पैर चलकर लाते हैं। देवी को गांव बुलाने की परंपरा इसलिए भी है कि जब उसे अपने मायके वाले बुलाते रहेंगे तो वह प्रसन्न रहेगी और गांव क्षेत्र में सुख-शांति का माहौल रहेगा।

ग्रामीणों ने कहा माँ सुरकंडा की डोली की नहीं है परंपरा

मां सुरकंडा देवी के मैती जड़धार गांव के ग्रामीणों का कहना है कि कुछ लोग व संगठन आजकल जगह-जगह मां सुरकंडा देवी की डोली बना कर इधर-उधर घुमा रहे हैं और कई तरह के चमत्कार होने का दावा कर रहे हैं। उनसे मां सुरकंडा का कोई संबंध नहीं है।

ग्राम प्रधान प्रीती जड़धारी व मंदिर समिति के अध्यक्ष जीत जड़धारी का कहना है कि मां सुरकंडा की कोई डोली नहीं है। माँ सुरकंडा हर तीसरे वर्ष अपने मायके जड़धार गांव जाती है, लेकिन वह भी डोली के रूप में नहीं ले जाई जाती है। जड़धार गांव के लोग जब भगवती को गांव बुलाते हैं तो प्रतीक के रूप में मां की प्रतिमा को सिर में रखकर लाया जाता है।

Comment