धूमधाम से मनायी जन कवि घनश्याम शैलानी की जयंती

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धूमधाम से मनायी जन कवि घनश्याम शैलानी की जयंती सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ, विचार गोष्ठी एवं कवि सम्मेलन का हुआ आयोजन
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धूमधाम से मनायी जन कवि घनश्याम शैलानी की जयंती
सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ, विचार गोष्ठी एवं कवि सम्मेलन का हुआ आयोजन

घनसाली, लोकेन्द्र जोशी की रिपोर्ट: इंद्रमणि बडोनी कला एवं साहित्यिक मंच घनसाली टिहरी गढ़वाल के तत्वावधान में जन कवि श्रद्धेय घनश्याम रतूड़ी “शैलानी” की 89वीं जयंती ब्रलेंट पब्लिक स्कूल बलेश्वर् चमियाला में सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ विचार गोष्ठी एवं कवि सम्मेलन का आयोजन कर धूमधाम से मनायी गई।

धूमधाम से मनायी जन कवि घनश्याम शैलानी की जयंती सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ, विचार गोष्ठी एवं कवि सम्मेलन का हुआ आयोजनवक्ताओं ने कहा सामाजिक कुरुतियों के विरूद्ध आजीवन जन संघर्षों के अजेय योद्धा- श्रद्धेय घनश्याम रतूड़ी “शैलानी के द्वारा अपनी रचनाओं को स्वर देकर सामाजिक कुरीतियों के विरुद्ध विगुल बजाया। और पहाड़ फ़ैली ब्यापक रूढ़िवाद को खिलाफ वे पहले विद्रोही कवि हुए हैं। जिनके गीतों ने पूरे पहाड़ में नहीं बल्कि देश और दुनिया में भी सामाजिक चेतना का कार्य कर रूढ़िवाद पर कुठाराघात किया।

बालगंगा घाटी स्थित कैराराम ब्रलेंट माइंडस् पब्लिक स्कूल बेलेश्वर् टिहरी गढ़वाल के छात्रों ने महान जन कवि शैलानी की स्मृति में सांस्कृतिक कार्यक्रम की सुंदर प्रस्तुति से दर्शकों का मन मोह लिया। गायक हरिभजन सिंह पँवार ने शैलानी जी के गीत गा उन्हे नमन किया।बड़े मंचों पर अपनी पहचान बनाए हुए कवि बेली राम कंस्वाल और उनके साथी केशर सिंह रावत, राम नरेश नौटियाल, हर्ष बर्द्धन भट्ट ने भी अपनी रचनाओं को शैलानी के समान पढ़ी।

बालगंगा घाटी के ग्राम -चरिगाड में जन्मे जन संघर्षों के अजेय योध्दा, महान कवि घनश्याम रतूड़ी “शैलानी” का जन्म 18 मयी 1934 को ग्राम- चरिगाड में ब्राह्मण परिवार में हुआ। जो कि संस्कृत और ज्योतिष का अध्ययन को अपनी रोजी रोटी का परम्परागत साधन बना चुके थे। अपनी बाल्य काल में ही पंडित घनश्याम रतूड़ी के दास परिवार मे सत्य नारायण कथा करने पर समाज में फैली छुवा छूत जैसी कुरीति के विरुद्ध संघर्ष का विगुल बजाया। और यंही से उनके जीवन की जन संघर्षों यात्रा शुरू हुई। जिसको अपनी रचनाओं को जन गीतों का स्वर देकर वे घनश्याम रतूड़ी से घनश्याम “शैलानी” हो गए।

महान कवि शैलानी द्वारा अपनी कालजयी रचनाओं को जनगीतों का स्वर देकर ,सर्वोदय ,अस्पृश्यता, चिपको, भूदान मद्यनिषेद, एवं पशु बलि प्रथा, बाल विवाह जैसे बड़े आंदोलनों के माध्यम से समाज में ब्याप्त कुरीतियों के विरुद्घ जीवन भर संघर्ष किया गया। जंहा समस्याएं होती वे गले में हारमोनियम लटका कर पहुँच कर समझ को अपने स्वरचित गीतों से संगठित कर आंदोलन का विगुल बजा देते।

घनश्याम शैलानी वर्ष 1951 में मीरा बेन भिलंगना क्षेत्र के गेन्वलि भिलंग आने पर वे उनसे से जुड़ कर ,गांधीवादी विचार धारा से जुड़ गए 1967 से बन आंदोलन, 60 के दशक मे पूरे पहाड़ ने शराब विरोधी आंदोलन ने अपनी आगोश में ले लिया।ऐसे समय शैलानी जी गीत चला दीदी चला भुल्यों चला गौं बचौला,दारु कू दैन्त लग्यूं तै दैन्त भगौला।।
यह गीत प्रत्येक जलूस एवं सभाओं में आंदोलन कारी गा कर जन चेतना का काम करते।1972 चिपको आंदोलन शुरू हुआ शैलानी जी की कर्मभूमि उत्तरकाशी बनी।

इतिहास बताता है कि शैलानी जी साथियों के साथ उत्तरकाशी से गोपेश्वर जाने की पहली रात्रि 11 दिसंबर 1972 को जनगीत की रचना की –चिपको जंगल नहीं कटने देंगे! जो अगली सुबह गोपेश्वर मे विशाल जन आंदोलन के मंच पर गाया गया।और यहीं से चिपकौ आंदोलन की शुरुवात हुई। इसलिए चिपको आंदोलन के पहले नायक की भूमिका में शैलानी जी हुए।

वे पर्यावरणविद सुंदर लाल बहुगुणा के नवजीवन आश्रम से जुड़ कर समाज सेवा में समर्पित रहे।
सरकार की नीतियों के विरोध में शैलानी जी को हथकड़ी पहनाए हुए जेल की यात्रा भी करनी पड़ी। शराबबंदी बलि प्रथा, बाल विवाह जैसे अनेकों आंदोलनों गीत लिख कर आजन्म संघर्ष किया। ऐसा कवि विरले ही पैदा हुए जो लोगों के दिलों में अपनी अमिट छाप बनाए हुए हैं। उनके गीतों ने पहाड़ के जन मानस को संगठित कर कुरीतियों और सरकार के गलत फैसलों के विरुद्ध आंदोलन के लिए जागृति का काम किया।

पहाड़ के जन मानस को आत्म निर्भर होने के संदेश दिए। वेद्रोहि कवि हुए और जंहा समस्याएं पैदा होती वहाँ जाकर खड़े होते और स्वरचित जन गीतों के माध्यम से जन चेतना का काम करते।
शैलानी जी वर्ष 1988 को सैलानी जी थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक मैं अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरण गीत महोत्सव में भारत का प्रतिनिधित्व किया था जहां उन्हें पर्यावरण सेवक के पुरस्कार से पुरस्कृत किया गया।
विचार गोष्ठी में वक्ताओं ने शैलानी जी को स्मरण करते हुए उनके कालजयी गढ़वाली बोली मे रचित गीत-जन गीतों को गा कर उन्हे नमन कर श्रद्धांजली दी गयी।

साहित्य संगीत और जन सघर्षों के महान एवं अजेय योद्धा श्रद्धेय घनश्याम शैलानी जी का वर्ष 1999 में उनके देहांत होने से वे अनंत यात्रा पर चले गए। किंतु उतराखंड की नदी घाटियों में आज भी उनके द्वारा रचित कालजयी जन संघर्षों के गीत प्रेरणा के रूप मे सुनाई देते हैं।और अन्याय व अत्याचार के विरुद्ध चेतना प्रदान करते हैं।

उतराखंड राज्य आंदोलन में उनके गीतों ने नईं चेतना का कार्य किया। शैलानी जी की जन्म जयंती समारोह में मुख्य अतिथि, आनंद ब्यास, विशिष्ठ अतिथि, कुंवर सिंह रावत,भरत सिंह नेगी धर्म सिंह बिष्ट, गोविंद सिंह राणा, सूरत सिंह रावत, लोकेन्द्र रावत, हर्ष वर्द्धन भट्ट, इंद्रमणि बडोनी कला एवं साहित्यिक मंच से संयोजक बेली राम कांस्वाल, संरक्षक केशर सिंह रावत, उपाध्यक्ष आर.बी.सिंह , मस्त राम कंस्वाल, प्रधान संगठन के अध्यक्ष दिनेश भजनियाल सहित बड़ी संख्या में लोग उपस्थित रहे।

मंच की ओर से सम्पूर्ण ब्यवस्था हेतु कैराराम सोशाइटी के संस्थापक, सामाजिक सरोकारों से जुड़े, पत्रकार श्री हर्ष मणि उनियाल को मंच द्वारा आभार ब्यक्त करते हुए धन्यवाद ज्ञापित किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षा मंच के अध्यक्ष एडवोकेट लोकेन्द्र जोशी तथा संचालन युवा कवि मनोज रमोला एवं मंच के महामंत्री विनोद लाल शाह के द्वारा संयुक्त रूप से किया गया।

“इन्द्रमणी बडोनी कला एवं साहित्यिक मंच घनसाली” के बैनर तले भव्य व दिव्य ढंग से “कैराराम ब्रिलिएट मांइड स्कूल बेलेश्वर” में बड़े हर्ष उल्लास के साथ मनाई गयी। श्री हर्षमणी उनियाल (प्रबन्धक एवं निर्देशक) कैराराम ब्रिलिएण्ड माइंड स्कूल बेलेश्वर” का मंच हार्दिक धन्यवाद ज्ञापित करता है, कि उन्होंने हमें स्थान एवं विशेष सहयोग दिया। कार्यक्रम में मुख्यवक्ता के रूप में मंच के अध्यक्ष वरिष्ठ अधिवक्ता श्रीमान लोकेन्द्र दत्त जोशी जी के द्वारा “सैलानी जी के संपूर्ण जीवन पर प्रकाश डाला गया।

कार्यक्रम में राष्ट्रीय एवं अंतराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कवि श्री बेलीराम कंसवाल जी, कवि श्री कुलदीप फोद़णी जी एवं लोकगायक श्री हरिभजन पंवार जी ने सैलानी जी की कविताए प्रस्तुत की गयी । कार्यक्रम में कैराराम, ब्रिलिएण्ड माइंड स्कूल बेलेश्वर की छात्राओं के द्वारा सरस्वती बोल एवं संस्कृतिक गीत की प्रस्तुति की गई।

मंच (इंद्रमणि बडोनी कला एवं संहित्य मंच घनसाली) का परिचय और उद्देश्य मंच के लिये बतौर महामंत्री विनोद लाल शाह के द्वारा किया गया। तथा मंच का सफल संचालन श्री मनोज रमोला जी (कोषाध्यक्ष) के द्वारा किया गया।

कार्यक्रम में मुख्य अतिथि श्री आनंद व्यास (पूर्व जिला पंचायत सदस्य), श्री केसर सिंह रावत, आर.बी. सिंह उत्तराखंड जन विकास परिषद गोविंद सिंह राणा (पूर्व जिला पंचायत सदस्य), श्री लोकेंद्र सिंह रावत (अध्यक्ष राजकीय माध्यमिक शिक्षक संघ भिलंगना) श्री दिनेश भजनियाल (अध्यक्ष प्रधान संगठन भिलंगना), श्री सूरत सिंह रावत (अध्यक्ष व्यापार मंडल चमियाला) भरत सिंह नेगी प्रवक्ता, पूर्व प्रधानाचार्य कुँवर सिंह रावत धर्म सिंह, हर्ष वर्द्धन भट्ट, मस्त राम कंस्वाल आदि बड़ी संख्या में लोग उपस्थित रहे।

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