जिला मुख्यालय से बाहर ग्रामीण कस्बों एवम् तहसीलों में कार्यरत पत्रकार आखिर उपेक्षित क्यों?

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गजा/नकोट: आमतौर पर यह देखने में आया है कि जब भी कोई सामाजिक संगठन या राजनीतिक दलों से जुड़े लोग पत्रकारों को याद करते हैं तो उन्हें केवल जिला मुख्यालय में कार्यरत पत्रकार ही दिखाई देते हैं। जबकि जिला मुख्यालय के अलावा अन्य क्षेत्रों में भी पत्रकार कार्यरत हैं और अपनी जिम्मेदारी पूरी निष्ठा के साथ निभा रहे हैं। चाहे आपदा हो या कोरोना काल। पत्रकार अपनी भूमिका का बेहतर तरीके से निर्वहन कर रहे हैं। टिहरी में भाजपा हो या कांग्रेस या कोई अन्य दल।

[su_highlight background=”#091688″ color=”#ffffff”]सरहद का साक्षी, रिपोर्ट: डी.पी. उनियाल[/su_highlight]

पत्रकारों के साथ भेदभाव किया जाता है। जब पत्रकारों को सम्मान देने की बात हो या कोई सुविधा उपलब्ध कराना हो, तो केवल जिला मुख्यालय में कार्यरत पत्रकारों को ही प्राथमिकता दी जाती है। हर पत्रकार सम्मान का हकदार है चाहे वह जिला मुख्यालय में कार्यरत हो या फिर ब्लॉक और तहसील में। सभी को सम्मान दिया जाना चाहिए। कोरोना काल में हर पत्रकार ने जान जोखिम में डालकर अपने दायित्वों का निर्वहन किया।

पिछले साल भी कई सामाजिक संगठनों और राजनीतिक दलों ने पत्रकारों को सम्मान दिया और उन्हें कोरोना रोकथाम हेतू जरुरी सामग्री भी उपलब्ध कराई, तो उसमें भी केवल जिला मुख्यालय के पत्रकार शामिल थे। इस बार भी अभी तक देखने में आया है कि केवल जिला मुख्यालय में कार्यरत पत्रकारों को ही और सम्मान व सुविधाएं दी गई। आखिर ऐसा क्यों? यह पत्रकारों के साथ भेदभाव नहीं है तो क्या है? क्या जिला मुख्यालय में रह रहे पत्रकारों को ही वरीयता है। जनपद के अन्य जगहों पर कार्यरत पत्रकारों की आखिर कौन लेगा सुध?
यह कहीं न कहीं पत्रकारों का मनोबल कम करना है।