एंटी-रेट्रोवायरल थेरेपी ART अगर समय से शुरू कर दी जाए तो एड्स के प्रभाव को काफी हद तक कम किया जा सकता है: डॉ. हरिओम प्रसाद

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एंटी-रेट्रोवायरल थेरेपी ART अगर समय से शुरू कर दी जाए तो एड्स के प्रभाव को काफी हद तक कम किया जा सकता है: डॉ. हरिओम प्रसाद
एंटी-रेट्रोवायरल थेरेपी ART अगर समय से शुरू कर दी जाए तो एड्स के प्रभाव को काफी हद तक कम किया जा सकता है: डॉ. हरिओम प्रसाद
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एंटी-रेट्रोवायरल थेरेपी ART अगर समय से शुरू कर दी जाए तो एड्स के प्रभाव को काफी हद तक कम किया जा सकता है यह वक्तव्य डॉ. हरिओम प्रसाद ने ऋषिकेश श्री देव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय के पंडित ललित मोहन शर्मा कैंपस ऋषिकेश में राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई रोटरी क्लब ऋषिकेश एवं रेड रिबन क्लब के संयुक्त तत्वाधान में विश्व एड्स दिवस के अवसर पर दिया।

एंटी-रेट्रोवायरल थेरेपी ART अगर समय से शुरू कर दी जाए तो एड्स के प्रभाव को काफी हद तक कम किया जा सकता है: डॉ. हरिओम प्रसाद
एंटी-रेट्रोवायरल थेरेपी ART अगर समय से शुरू कर दी जाए तो एड्स के प्रभाव को काफी हद तक कम किया जा सकता है: डॉ. हरिओम प्रसाद

परिसर में स्वास्थ्य युवा और स्वास्थ्य राष्ट्र विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला एवं स्लोगन प्रतियोगिता का आयोजन किया गया।

विषय विशेषज्ञ के रूप में उपस्थित डॉ डीके श्रीवास्तव अंतर्राष्ट्रीय आयुर्वेद विशेषज्ञ, डॉ हरिओम प्रसाद एंडोलैप्रोस्कोपिक सर्जन और सोनोलॉजिस्ट, डॉ श्रीमती रितु प्रसाद स्त्री रोग विशेषज्ञ एवं सोनोलॉजिस्ट, प्रो दिनेश चंद्र गोस्वामी कला संकाय, राजीव गर्ग असिस्टेंट कमिश्नर रोटरी क्लब, राकेश अग्रवाल अध्यक्ष अध्यक्ष रोटरी क्लब ऋषिकेश, विशाल तायाल सचिव रोटरी क्लब ऋषिकेश, प्रो पुष्पांजलि आर्य विभागाध्यक्ष अर्थशास्त्र उपस्थित रही।

कार्यशाला की अध्यक्षता परिसर के प्राचार्य प्रो महावीर सिंह रावत द्वारा की गई उन्होंने कार्यशाला का उद्घाटन करते हुए अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा की पिछले कई वर्षों से एड्स और एचआईवी को लेकर लोगों में जागरूकता पैदा करने के प्रयास किए जा रहे हैं लेकिन फिर भी विड़म्बना ही है कि बहुत से लोग इसे आज भी छूआछूत से फैलने वाला संक्रामक रोग मानते हैं। इस संक्रमण के शिकार व्यक्ति के साथ हाथ मिलाने, उसके साथ भोजन करने, स्नान करने या उसके पसीने के सम्पर्क में आने से यह रोग नहीं फैलता। इसलिए एड्स के प्रति जागरूकता पैदा किए जाने की आवश्यकता है I

विषय विशेषज्ञ डॉ डी के श्रीवास्तव ने अपने संबोधन में कहा हर व्यक्ति युवा एवं बीमार ना हो उसकी इच्छा होती है, अस्वस्था मन की देन है, एक सर्वे के अनुसार 75% लोग मानसिकता की वजह से अस्वस्थ हैं, हमें मन को स्वस्थ रखना चाहिए, इसके लिए हंसना, खेलना, लोगों से मिलना, घूमने से मन स्वस्थ रहता है, मन स्वस्थ रहेगा तो शरीर स्वस्थ रहेगा दुनिया में भगवान ने मनुष्य को हंसने और मुस्कुराने की नियमत दी है, आज हंसने के लिए लाफिंग क्लब बनाए जा रहे हैं, हमें सुबह घूमना चाहिए क्योंकि सुबह ऑक्सीजन ऊपर अधिक मात्रा में होती और नकारात्मक गैस नीचे रहती है स्वस्थ मस्तिष्क के बिगर स्वस्थ शरीर नहीं हो सकता।

डॉ हरिओम प्रसाद एंडोलैप्रोस्कोपिक सर्जन और सोनोलॉजिस्ट ने संबोधित करते हुए कहा एचआईवी संक्रमित होना जीवन का अंत नहीं हैं क्योंकि एचआईवी संक्रमित व्यक्ति भी सही चिकित्सीय मदद एवं सहयोग से लम्बे समय तक स्वस्थ जीवन जी सकता है।

एंटी-रेट्रोवायरल थेरेपी एआरटी अगर समय से शुरू कर दी जाए तो इस बीमारी के प्रभाव को काफी हद तक कम किया जा सकता है। इसके फलस्वरूप शरीर की प्रतिरोधक क्षमता फिर से बढ़ जाती है, बीमारी का बढ़ना बंद हो जाता है एवं अन्य अवसरवादी संक्रमणों के फैलने की आशंका भी घट जाती है।

इस तरह एंटी-रेट्रोवायरल थेरेपी एड्स के प्रभाव को कम करने में मदद करता है। एचआईवी/एड्स प्रभावित व्यक्ति भी स्वस्थ एवं दीर्घजीवन जी सकता है। एंटी-रेट्रोवायरल थेरेपी का सही से पालन एवं क्रियान्वयन, एंटी-रेट्रोवायरल थेरेपी की उपलब्धता, एंटी-रेट्रोवायरल थेरेपी कब दी जाती है, एंटी-रेट्रोवायरल थेरेपी केंद्र कहाँ स्थित हैI

डॉ श्रीमती रितु प्रसाद स्त्री रोग विशेषज्ञ ने अपने संबोधन में कहा अगर एड्स के कारणों पर नजर डालें तो मानव शरीर में एचआईवी का वायरस फैलने का मुख्य कारण हालांकि असुरक्षित सेक्स तथा अधिक पार्टनरों के साथ शारीरिक संबंध बनाना ही है लेकिन कई बार कुछ अन्य कारण भी एचआईवी संक्रमण के लिए जिम्मेदार होते हैं। शारीरिक संबंधों द्वारा 70-80 फीसदी, संक्रमित इंजेक्शन या सुईयों द्वारा 5-10 फीसदी, संक्रमित रक्त उत्पादों के आदान-प्रदान की प्रक्रिया के जरिये 3-5 फीसदी तथा गर्भवती मां के जरिये बच्चे को 5-10 फीसदी तक एचआईवी संक्रमण की संभावना रहती है I

संगोष्ठी के कन्वीनर एवं वरिष्ठ कार्यक्रम अधिकारी डॉ अशोक कुमार मेंदोला ने अपने संबोधन में कहा यह मायने नहीं रखता है कि कोई व्यक्ति एचआईवी से प्रभावित है या नहीं। ये मौलिक अधिकार सभी को प्राप्त हैं। हमें उनके अधिकारों का सम्मान करते हुए उन्हें भी वही मान-सम्मान देना चाहिए जो हम अन्य सामान्य व्यक्तियों को देते है ताकि एचआईवी/एड्स प्रभावित लोग भी सामान्य जीवन जी सकें।

डॉक्टर पारूल मिश्रा कार्यक्रम अधिकारी एनएसएस ने अपने संबोधन में कहा एचआईवी/एड्स से मरने वाले लोगों की संख्या में कमी लाने के लिए सहस्राब्दि विकास लक्ष्य निर्धारित किये हैं एवं राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण कार्यक्रम के अंतर्गत भारी संख्या में सहभागियों को सम्मिलित कर देश ने इस दिशा में आगे कदम बढ़ाना भी शुरू कर दिया है।

मंच का संचालन डॉ प्रीति खंडूरी द्वारा किया गया उन्होंने अपने संबोधन में कहा एचआइवी के लक्षण बेहद सामान्य से हैं, जिन्हें लोग नजरअंदाज कर देते हैं। एड्स में लगातार तेज बुखार, हमेशा थकान व नींद आना, भूख में कमी, रात में सोते समय पसीना आना, दस्त लगना व वजन में कमी होना इसके प्रमुख लक्षण हो सकते हैं। विश्व एड्स दिवस पर आयोजित स्लोगन प्रतियोगिता में प्रथम स्थान संयोगिता, द्वितीय स्थान मानसी एवं तृतीय स्थान आदित्य रावत ने प्राप्त किया इस कार्यशाला में 173 छात्र छात्राओं ने प्रतिभाग किया I

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