उत्तराखंड के सभी लोगों को अपनी जड़ों की ओर लौटने और स्वस्थ परम्परा को जानने के लिए बंशावली लेखन करना चाहिए: महामंडलेश्वर स्वामी दयारामदास

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व्यास वंशावली
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उत्तराखंड के सभी लोगों को अपनी जड़ों की ओर लौटने और स्वस्थ परम्परा को जानने के लिए बंशावली लेखन करना चाहिए: महामंडलेश्वर स्वामी दयारामदास

व्यास वंशावली “कल्पद्रुम” का विमोचन

उत्तराखंड के सभी लोगों को अपनी जड़ों की ओर लौटने और स्वस्थ परम्परा को जानने के लिए बंशावली लेखन करना चाहिए, यह बात महामंडलेश्वर स्वामी दयारामदास ने व्यास वंशावली “कल्पद्रुम” का विमोचन अवसर पर कही।

व्यास वंशावली “कल्पद्रुम” का विमोचन ढालवाला स्थित एक होटल में मुख्य अतिथि महामंडलेश्वर स्वामी दयारामदास एवं श्री आशाराम व्यास की अध्यक्षता में दीप प्रज्वलन के साथ ही धूमधाम से प्रारंभ हुआ।

तत्पश्चात श्रीमती ममता जोशी और श्रीमती रश्मि पैन्यूली के सुंदर वंदना एवं श्रीमती दर्शनी भंडारी एवं श्रीमती मीना मदवाण नौटियाल ने उपरोक्त कार्यक्रम में दर्शकों का मन मोह लिया।

इस कार्यक्रम में वंशावली के संपादक आचार्य- सन्तोष व्यास ने बताया कि पूर्वजों के आशीर्वाद एवं पारिवारिक जनों के सहयोग से यह कठिन कार्य संपन्न हुआ। यह वंशावली आगामी पीढ़ियों के लिए सांस्कृतिक विरासत को सहेजने में मील का पत्थर साबित होगी।

मुख्य अतिथि पूज्य स्वामी जी ने अपने आशीर्वचन में कहा कि उत्तराखंड के सभी लोगों को अपनी जड़ों की ओर लौटने के लिए और स्वस्थ परम्परा को जानने के लिए बंशावली लेखन करना चाहिए।

अध्यक्षीय उद्बोधन में श्री आशाराम व्यास ने सभी उपस्थित जनों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि अपनी बोली-भाषा, रीति रिवाज और संस्कार हमें अगली पीढ़ी को हस्तान्त रित करनी चाहिए।

कार्यक्रम का सुंदर संचालन श्री सुनील थपलियाल ने एवं सहयोग श्री सुरेन्द्र भंडारी जी ने किया।वक्ताओं में श्रीमती- रचना एवं नवीन कुंदनानी, श्रीमती- उमा ड्यूंढ़ी, श्रीमती सरोज बाला, सेमवाल, बिशंबरी भट्ट ने अपने विचार व्यक्त किए।

कार्यक्रम में इंजीनियर हर्षमणी व्यास, श्री कमलेश्वर प्रसाद, श्री जगदीश ग्रामीण, श्री आनंद मनवाल, व्यास, हर्ष व्यास, डॉ राकेश व्यास, प्रभात सेमल्टी, अनूप जोशी, चंद्रमोहन मुकेश व्यास, शास्त्री, भगवती प्रसाद व्यास, ओमप्रकाश व्यास, आनंद स्वरूप व्यास, पी.डी व्यास, विष्णु प्रसाद, अतेन्द्र, कृष्ण दीप, प्रमोद व्यास व्यास, धीरेन्द्र, हेमवती, कृष्णा व्यास, नवीन, दुर्गा व्यास सहित द्रबेश्वरी देवी, शान्ता देवी, भुभ्नेश्वरी, उषा देवी, शकुन्तला, मनोरमा, विक्रमा, ममता व्यास, पार्वती, वीना, सुमना व्यास आदि रंजना, राजकुमारी, पार्वती, साधना, अंजलि आदि मातृ शक्ति उपस्थित रही।

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