अफसोस कि मन की बात जैसे कार्यक्रम भी हम राजनीतिक चश्मे से देखते हैं

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अफसोस कि मन की बात जैसे कार्यक्रम भी हम राजनीतिक चश्मे से देखते हैं
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अफसोस की बात यह है कि मन की बात जैसे कार्यक्रम को भी हम राजनीतिक चश्मे से देखते हैं

अफसोस कि मन की बात जैसे कार्यक्रम भी हम राजनीतिक चश्मे से देखते हैं।कल का दिन बहुत महत्वपूर्ण रहा। चंबा चौक में माननीय प्रधानमंत्री जी के मन की बात सुनी। मन की बात के 100वें एपिसोड में मा. प्रधानमंत्री जी ने बारीकी से अनेक तथ्यों से देशवासियों को संबोधित किया। यूनेस्को की डी जी द्वारा की गई प्रशस्ति का भी जिक्र किया और सदा की तरह अनेकों अनछुए पहलुओं को उजागर किया।

अफसोस की बात यह है कि मन की बात जैसे कार्यक्रम को भी हम राजनीतिक चश्मे से देखते हैं और कल चंबा चौक में मन की बात सुनने वालों में भी राजनीति दिखाई दी। काश! यदि राजनीतिक लोग कबीर की बात पर भी अमल करते! कबीर की बात यहां पर प्रासंगिक है, “साधु ऐसा चाहिए जैसे सूप सुपाए /सार-सार को गहि रहे थोथा दिए उड़ाय।’

अपरान्ह अपने गृह क्षेत्र सकलाना शुभ विवाहोत्सव में शिरकत की। कल ही शहीद नागेंद्र सकलानी स्मृति मेले का भी समापन था। विधायक प्रीतम पंवार जी नागेंद्र सकलानी संग्रहालय के लिए 500000 और मेला स्थल सौंदर्यकरण के लिए 200000 की घोषणा पहले दिन ही कर चुके हैं। इसके अलावा महत्वपूर्ण बात यह है कि पंचायती राज मंत्रालय भारत सरकार की ओर से निदेशक श्रीमती मालती रावत जी ने जाड़गांव -पुजार गांव, ग्राम पंचायत का सूक्ष्म निरीक्षण किया और किए गए कार्यों की भूरी -भूरी प्रशंसा की। ग्राम पंचायत के प्रधान श्री अरविंद सकलानी की सराहना की। साथ ही वृक्ष मानव विश्वेश्वर दत्त सकलानी और नागेंद्र सकलानी को श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए वृक्ष मानव के द्वारा रोपित लाखों बांज के वृक्षों को देखकर अभिभूत हुई और इस मिशन को आगे बढ़ाने के लिए भारत सरकार पंचायती राज मंत्रालय से अनुशंसा की बात कही।

संध्या सत्र में सौन्ग घाटी जो कि सोना उगलने वाली घाटी कहलाती है वहां अपने बचपन के मित्र स्वर्गीय विजेंद्र नकोटी के सुपुत्र चि.आशुतोष के विवाह उत्सव पूर्व मेंहदी कार्यक्रम में सम्मिलित हुआ। जिला कोऑपरेटिव बैंक के अध्यक्ष सुभाष रमोला, नकोटी परिवारजन श्री लोकेंद्र नकोटी, सुंदर सिंह नकोटी, धन सिंह, हुकम सिंह आदि से मुलाकात हुई। अपने ग्रामवासियों और क्षेत्रवासियों से मिलन हुआ।

चंबा क्षेत्र से अनेकों लोग सपरिवार इस कार्यक्रम में सम्मिलित हुए जिनमें श्रीमती अनुपमा और महेश उनियाल, श्रीमती पद्मनाभ और श्री बी.पी. सेमवाल आदि ने कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई। पूर्व जिला पंचायत सदस्य श्री अखिलेश उनियाल श्री वासुदेव सकलानी, श्री जय प्रकाश सकलानी, श्री गोपाल सकलानी, श्री हरिप्रसाद उनियाल, श्री कमलेश सकलानी, श्री ऋषि सेमवाल आदि अनेकों लोगों से भी बातचीत हुई।सौंग उपत्यका में अवस्थित सकलाना घाटी अपने विशद संसाधनों के लिए जगत प्रसिद्ध है।सौंग उपत्यका में अवस्थित सकलाना घाटी अपने विशद संसाधनों के लिए जगत प्रसिद्ध है। एक ओर सकलाना को क्रांति भूमि के नाम से जाना जाता है तो दूसरी ओर धन समृद्धि, शिक्षा और संस्कृति के क्षेत्र में भी घाटी आदिकाल से ही शिरमौर रही है।

मां सुरकंडा के चरणों से लेकर देहरादून से सटी 90 किलोमीटर लंबी इस घाटी का अपना एक स्वर्णिम इतिहास है। जिसे मैंने अपनी प्रथम काव्य कृति दिव्य-श्रीखंड में व्यापक रूप से (काव्य के रूप में) दो दशक पूर्व उल्लेखित किया था।

“वनाच्छादित सुखद सकलाना, अमृत सौंग बहाती है।
अपने पावन जल के द्वारा देहरा की प्यास बुझाती है।
ऐसी पट्टी सुलभ कहां है, जहां आम से सेब सटा।
सुरकंडा से कुमाल्डा तक, फल-फूलों से भरा पटा।”

@कवि: सो.ला.सकलानी ‘निशांत’ (कविकुटीर)
सुमन कॉलोनी चंबा, टिहरी गढ़वाल।

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