अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर विशेष
नारी जीवन की वास्तविक स्थिति
अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस की पावन वेला पर सम्पूर्ण मातृशक्ति का हार्दिक नमन, वन्दन व बहुत सारी शुभकामनाएं।
यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता।
नारी सर्वत्र समग्र रूप से विराजमान है, और नारी नर से भारी है, महापुरुषों का चिन्तन, सदैव स्मरणीय एवं चिंतनीय एवं वन्दनीय है।
पुरुष को हमेशा एक स्त्री का साथ चाहिए। फिर वो चाहे मन्दिर हो या संसार। यथा:
मंदिर में कृष्ण के साथ –> राधा
राम के साथ –> सीता
शंकर के साथ –> पार्वती
सुबह से रात तक मनुष्य को अपने हर काम में
*एक स्त्री अथवा शक्ति की* आवश्यकता होती ही है।
पढ़ते समय –> विद्या
फिर –> लक्ष्मी
और अंत में –> शाँति।
दिन की शुरुआत –> *ऊषा* के साथ,
दिन की समाप्ति –> *संध्या* से होती है.
किन्तु काम तो सदैव *अन्नपूर्णा* के लिये ही करना है! रात यानी –> निशा के समय भी निंदिया रानी
सोने के बाद –> *सपना*
मंत्रोच्चार के लिये –> *गायत्री*
ग्रंथ पढ़ें तो –> *गीता*
मंदिर में भगवान के सामने
*वंदना, पूजा, अर्चना,**आरती, आराधना*
और ये सब भी …केवल –> *श्रद्धा* के साथ.
अंधेरा हो तो –> *ज्योति*
लड़ाई लड़ने जायें तो* –>*जया* और *विजया*
बुढ़ापे में –> *करुणा* वो भी, –> *ममता* के साथ *गुस्सा आ जाए, तब* –> *क्षमा*
इसीलिए तो धन्य है–> स्त्री जाति। जिसके बगैर पुरुष अधूरा है।
हम नारी के कृतज्ञ हैं, जो इन रूपों में हमारे सम्मुख निर्भीक व निर्विवाद खड़ी है। वह मां है, बहिन है, पत्नी है और है बेटी। आज ही नहीं, (क्योंकि आज विश्व महिला दिवस है इसलिए नहीं) अपितु सदैव नारी शक्ति को सादर प्रणाम।
नारी जीवन की वास्तविक स्थिति
नारी का जीवन कुछ विचारणीय है अतः इस सन्देश पर चिन्तन आवश्यक है।
माँ मुझे थोड़ा आराम करना है..” स्कूल, क्लास, पढ़ाई से थक कर बेटी ने माँ से कहा।
“अरी बिटिया अच्छी पढ़ाई कर, बाद में आराम ही तो करना है ..! ”
बिटिया उठी, पढ़ने बैठी और फिर आराम करना तो रह ही गया।
माँ मुझे थोड़ा समय दो.. दो घड़ी आराम कर लूं। ऑफिस से थक कर आई बिटिया ने कहा..”मैं थक गई हूं! ”
अरी शादी कर ले और सेटल हो जा.. फिर आराम ही करना है ..!
बिटिया शादी के लिए तैयार हो गई और.. आराम करना तो रह ही गया।
“अरे इतनी क्या जल्दी है.. एकाध साल रुकते हैं ना!
“अरी समय के साथ बच्चे हो जाए तो टेंशन नहीं, फिर आराम ही आराम है…
बिटिया माँ बन गई और आराम करना तो रह ही गया..
“तुम माँ हो.. तुम्हें ही बच्चे के साथ जागना पड़ेगा.. मुझे सुबह ऑफिस भी जाना है ..बस थोड़े दिन.. बच्चे बड़े हो जाएं फिर आराम ही आराम है…।
वो बच्चों के लिए कई रातें जागी और आराम करना तो रह ही गया..।
सुनो जी.. बच्चे अब स्कूल जाने लगे हैं .. अब तो दो घड़ी बैठने दो! आराम से..!
“बच्चों की तरफ ध्यान दो, उनको पढ़ा लो फिर आराम ही आराम है”।
बच्चों का प्रोजेक्ट बनाने बैठी.. और आराम करना तो रह ही गया..।
“बच्चे पढ़ लिख कर अपने पैरों पर खड़े हो गए, अब कुछ आराम कर लूं।”
“अब बच्चों की शादी करनी है.. ये जिम्मेवारी पूरी हो जाय फिर आराम ही आराम है।”
उसने हिम्मत जुटाई.. बच्चों की शादी का काम निपटाया.. और फिर आराम करना तो रह ही गया…।
“बच्चों का अपना संसार चलने लगा, अब मैं ज़रा आराम कर लू ..!
“अरी अब अपनी बिटिया माँ बनने वाली है, पहला बच्चा मायके में होगा ना ! .. चलो तैयारी करें .”
हमारी बिटिया की डिलीवरी हो गई और आराम करना रह ही गया। चलो, ये जिम्मेदारी भी पूरी हुई , अब आराम!
“माँ जी, मुझे नौकरी पर वापस जाना होगा ..तो आप ‘आरव’ को सम्भाल लेंगी ना! ”
नाती के पीछे दौड़ते दौड़ते थक गई।
और आराम करना रह ही गया?
“चलो नाती भी बड़ा हो गया अब.. सारी जिम्मेदारियाँ खत्म… अब मैं आराम करूंगी। ..”
“अरी सुनती हो, घुटने दुख रहे हैं मेरे, मुझसे उठा नहीं जा रहा .. बीपी भी बढ़ गया है शायद, डायबिटीज है सो अलग .. डॉक्टर ने परहेज़ करने को कहा है ..”।
पति की सेवा में बचा-खुचा जीवन गुज़र गया
..और.. आराम करना तो रह ही गया ..। यह है नारी जीवन की वास्तविक स्थिति।
एक दिन भगवान खुद धरती पर आए और कहा.. आराम करना है ना तुझे ? उसने हाथ जोड़े और भगवान उसे ले गए .. आखिरकार उसे आराम मिल ही गया,
हमेशा के लिए!!!
अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर सभी महिलाओं को सादर समर्पित। किसने लिखा है ये तो पता नहीं …पर मुझे अच्छा लगा। साभार।
*आचार्य हर्षमणि बहुगुणा