विकास विभाग की दोषपूर्ण कार्यप्रणाली के चलते मृत सरोवर बनकर रह गया है नागणी हेवलनदी पर बना अमृत सरोवर

विकास विभाग की दोषपूर्ण कार्यप्रणाली के चलते मृत सरोवर बनकर रह गया है नागणी हेवलनदी पर बना अमृत सरोवर
विकास विभाग की दोषपूर्ण कार्यप्रणाली के चलते मृत सरोवर बनकर रह गया है नागणी हेवलनदी पर बना अमृत सरोवर
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विकास विभाग की दोषपूर्ण कार्यप्रणाली के चलते नागणी हेवलनदी पर बना अमृत सरोवर मृत सरोवर बनकर रह गया है। उदघाटन के बाद से नागणी हेवलनदी पर बना अमृत सरोवर सूना पड़ा हुआ है। वहां स्थित पैडल बोट पानी में सड़ने लगी है।

मनरेगा से निर्मित सरकार की महत्वपूर्ण योजना नागणी हेवलनदी पर बना अमृत सरोवर/मिनी झील/वाटर पार्क विकास विभाग की दोषपूर्ण कार्यप्रणाली के चलते मृत सरोवर बनकर रह गया है।

विकास विभाग की दोषपूर्ण कार्यप्रणाली के चलते मृत सरोवर बनकर रह गया है नागणी हेवलनदी पर बना अमृत सरोवर
विकास विभाग की दोषपूर्ण कार्यप्रणाली के चलते मृत सरोवर बनकर रह गया है नागणी हेवलनदी पर बना अमृत सरोवर

वर्तमान में झील में न तो वोट चल रही हैं और ना ही अन्य किसी भी तरह की गतिविधियां हो रही हैं। जिसके चलते यहां पर्यटक भी नहीं आ रहे हैं।

बताते चलें कि करीब साढे 3 माह पूर्व ठीक 15 अगस्त को जब भारी तामझाम के साथ अमृत सरोवर का उद्घाटन किया गया और समय जिस तरीके से झील को लेकर बड़ी-बड़ी बातें की गई, उसको देखते हुए लग रहा था कि आने वाले दिनों में इस जगह पर भारी रौनक देखने को मिलेगी और स्थानीय लोगों को रोजगार भी मिलेगा, लेकिन ऐसा हो नहीं पाया।

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स्थिति यह है कि झील में पैडल बोट केवल उद्घाटन के दिन ही चल पाई उसके बाद से वह झील में पड़ी सड़ने लगी है। सरोवर के किनारे ट्रेडिशनल खाने के लिए बनाया गए किचन में भी ताले लटके हैं। वह भी केवल उद्घाटन के दिन ही खुल पाया जिसमें अतिथियों के लिए पान तैयार किया गया। उस दिन जो पौधे सरोवर के किनारे लगाए गए थे उनकी देखरेख भी नहीं हो रही है। अर्थात कहने का तात्पर्य है कि सरोवर में आजकल किसी भी तरह की गतिविधियां नहीं हो रही है जिस कारण यहां पर्यटक भी नही आ रहे हैं। आखिर पर्यटक भी तो तभी आएंगे जब झील में कुछ गतिविधियां होंगी।

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हेवलनदी और स्यूल गाड़ के संगम पर बना अमृत सरोवर इस उद्देश्य को लेकर बनाया गया था कि यहां पर पर्यटक आएंगे और झील में पैडल बोट का आनंद लेंगे। इसके अलावा पार्क में फुर्सत के छण बिता पाएंगे। एक ओर पर्यटकों को देखने को एक नई जगह मिलेगी वहीं दूसरी ओर स्थानीय स्तर पर क्षेत्र के लोगों को रोजगार भी मिलेगा। विकास विभाग, पर्यटन, वन, उद्यान आदि विभागों की संयुक्त मद मनरेगा द्वारा अमृत सरोवर निर्माण पर करीब 30 लाख की धनराशि खर्च की गई, इससे जो परिसंपत्ति तैयार हुई उसका कोई सदुपयोग नहीं हो रहा है। सरोवर में पैडल बोट सड़ने लगी हैं। चिंताजनक बात यह है कि कार्यदाई संस्था विकासखंड ने भी अमृत सरोवर का उद्घाटन करने तक ही अपनी जिम्मेदारी निभाई और उसके बाद हाथ खड़े कर दिए। इसके अलावा स्थानीय स्तर पर जनप्रतिनिधियों का रवैया भी सही नहीं कहा जा सकता। कुल मिलाकर अब अमृत सरोवर की देखरेख करने वाला कोई नहीं है।

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क्षेत्र पंचायत सदस्य सुखपाल सिंह सामाजिक कार्यकर्ता विपिन जड़धारी का कहना है कि आगे की कार्य योजना विकास विभाग को बनानी चाहिए थी, कि किस प्रकार अमृत सरोवर में गतिविधियों का संचालन हुआ। उन्होंने कहा कि इसके लिए विकासखंड ही जिम्मेदार है।

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