वर्तमान परिवेश में लोकगायक नरेन्द्रसिंह नेगी का जनगीत ‘लोकतंत्र मा’ भ्रष्टाचार पर करारा प्रहार है। एक सच्चा लोक कवि वही है जो अपने समय की विद्रूपताओं पर खुलकर बोले और समय की विडंबनाओं को दर्ज़ करे। यह बहुत बड़ी बात है लोक गायक श्री नरेन्द्र सिंह नेगी ऐसे मौक़ों पर अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभाते रहे हैं। वर्तमान परिस्थितियों पर श्री नरेंद्र सिंह नेगी जी द्वारा लिखा व गाया गया उनका “लोकतंत्र मा” (Loktantra ma) जनगीत उनकी सजगता को दर्शाता है। यह जनगीत 03 सितम्बर को लांच हुआ, वर्तमान दशा में यह जनगीत बहुत ही प्रासंगिक है, आइये! आप भी इस जनगीत का श्रवण कीजिये-
लोकतंत्र मा (Loktantra ma)
गीत और स्वर: नरेंद्र सिंह नेगी
संगीत संयोजन: रणजीत सिंह
सह गायक: शैलेंद्र पटवाल, समीर सौरभ पोखरियाल, आश्वजीत सिंह, ऋषभ कुंवर, ओमप्रकाश शुक्ला, कबिलास नेगी।
हम त प्रजा का प्रजा हि रैग्याँ लोकतंत्र मा-
तुम जनसेवक राजा हवेग्यां लोकतंत्र मा।
जनता सड़क्युंमा भ्रष्टाचार्यू से लडणी अर तुम-
भ्रष्टाचार मा साझा हवेग्यां लोकतंत्र मा।
फलफूलालों जब राज्य हमारु सब चैन से खाला
फल लगिनी तुम काचा खैग्याँ लोकतंत्र मा।
तुमारै ननतिन परिजन छन यख नौकर्या काबिल
हम बल काम न काजा हवेग्यां लोकतंत्र मा।
करणी धरणी कुछ नी तुम बस भोंपु बजौदां
नेताजि तुम त बाजा हवेग्यां लोकतंत्र मा।।
अब नि चल्ण द्योला हम तुमारी धाँधलबाजी
अळंसे गेछा, ताजा हवेग्यां लोकतंत्र मा।। …….!