राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय नागनाथ पोखरी में व्याख्यान श्रृंखला आयोजित

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राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय नागनाथ पोखरी में व्याख्यान श्रृंखला आयोजित की गई। नवाचार व्याख्यान श्रृंखला के अंतर्गत डॉ. संजीव कुमार जुयाल, असिस्टेंट प्रोफेसर – इतिहास द्वारा विषय “वैदिक साहित्य में पर्यावरण संरक्षण” पर व्याख्यान प्रस्तुत किया गया।

डॉ. संजीव कुमार जुयाल ने पर्यावरण के संघटकों, प्रदूषण, प्रकार एवं पर्यावरण संवर्धन एवं संरक्षण पर विस्तार पूर्वक अपने विचार रखें। उन्होंने भारतीय संस्कृति के अंतर्गत वेदों में पर्यावरण की महत्ता का जिक्र करते हुए कहा, कि वेदों में नदियां, पशु, तुलसी आदि वृक्षों को पूजनीय माना गया है। जिनकी उपयोगिता आज वैज्ञानिक रूप से सिद्ध हो चुकी है।

उन्होंने कहा कि वैदिक साहित्य में पर्यावरण संरक्षण एवं संवर्धन पर वैदिक ऋचाओं के श्लोकों में पूर्व में ही कहा जा चुका है, जिनका पालन करना आज के परिप्रेक्ष्य में अति आवश्यक है। साथ ही उन्होंने विश्व में हो रहे पर्यावरण संरक्षण एवं संवर्द्धन पर हो रहे कार्यों पर चर्चा की। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्राचार्य प्रोफेसर पंकज पंत ने पर्यावरण संरक्षण के उपाय एवं आंदोलन के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि हमारे ऋषि मुनि पर्यावरण के प्रति जागरूक रहे। उन्होंने पर्यावरण को धर्म से जोड़ा, जिससे लोग पर्यावरण का संरक्षण कर सकें। उन्होंने बताया कि प्रकृति के संसाधनों के उपयोग से सभ्यता का निर्माण हुआ है, जबकि दुरुपयोग से सभ्यता का विनाश निश्चित है।

उन्होंने कहा कि हमें वेदों के ज्ञान को आत्मसात करना होगा और अपने जीवन में उतारना होगा। कार्यक्रम में डॉ नंदकिशोर चमोला, डॉक्टर अनिल कुमार, डॉक्टर हरि ओम, डॉक्टर जगजीत सिंह, डॉ प्रियंका भट्ट, डॉक्टर रामानंद, डॉ सिद्दीकी, डॉ सुनीता मेहता,डॉक्टर कीर्ति गिल,डॉ. शशि चौहान, डॉ सुमन लता, डॉ. सोनी, डॉ. आयुष बर्त्वाल, डॉक्टर अंजलि, डॉ उपेंद्र चौहान, डॉक्टर राजेश, डॉ. प्रेम सिंह राणा एवं अन्य प्राध्यापक तथा शिक्षणेत्तर कर्मचारी उपस्थित रहे।

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