मान सहित विष खायके शंभू भये जगदीश: आचार्य पं0 प्रभु शरण बहुगुणा

मान सहित विष खायके शंभू भये जगदीश: आचार्य पं0 प्रभु शरण बहुगुणा
मान सहित विष खायके शंभू भये जगदीश: आचार्य पं0 प्रभु शरण बहुगुणा
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मान सहित विष खायके शंभू भये जगदीश, बिना मान अमृत पिये राहु कटायो शीष। यह व्याख्यान आचार्य पं0 प्रभु शरण बहुगुणा ने विद्वानों की काशी चंबा प्रखंड के सावली गांव के शीर्षस्थ भाग पर अवस्थित गुरियाली ( तपोवन) में आयोजित श्रीमद्भागवत महापुराण यज्ञ में प्रसंगवश दिया। कहा ‘सम्मान के साथ जहर पीने पर भगवान शिव जगदीश्वर कहलाये जबकि बिना मान के अमृत पीने पर राहु को सिर कटवाना पड़ा।

विद्वानों की काशी चंबा प्रखंड के सावली गांव के शीर्षस्थ भाग पर अवस्थित गुरियाली ( तपोवन) में आजकल श्रीमद्भागवत महापुराण यज्ञ का क्षेत्रवासी आनंद ले रहे हैं।

मां पुण्यासिनी के पावन क्षेत्र मे प्राकृतिक सौंदर्य के मध्य इस कथा का आयोजन किया जा रहा है। श्री हर्ष मणि बहुगुणा जो स्वयं में व्यास और पूर्व प्रधानाचार्य हैं तथा उनके छोटे भाई डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद बहुगुणा द्वारा इस ज्ञान यज्ञ का आयोजन किया जा रहा है। व्यास पीठ पर आसीन प्रकांड विद्वान आचार्य पंडित प्रभु शरण बहुगुणा जी हैं।

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आज चौथे दिन की कथाओं में समुद्र मंथन से लेकर भगवान श्री कृष्ण के जन्म तक की कथाएं श्रोताओं को सुनाई गई। पंडितों की काशी के नाम से विख्यात ग्राम सांवली के शीर्ष भाग पर अवस्थित, प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर, गुरियाली (तपोवन) में श्रीमद् भागवत महापुराण ज्ञान यज्ञ का गतिमान है। इस बहुगुणा परिवार के द्वारा अपनी माता जी के एकोदिष्ट श्राद्ध के अवसर पर यह ज्ञान यज्ञ का आयोजन किया जा रहा है। कर्मकांड में मर्मज्ञ बहुगुणा परिवार के द्वारा 13 दिसंबर को शुद्धिकरण, पितृ तर्पण के उपरांत 14 दिसंबर को एकोदिष्ट श्राद्ध- पितृ भोज दिया गया। तदुपरांत दिनांक 15 से 20 दिसंबर तक ज्ञान यज्ञ का आयोजन गतिमान है। इस श्रीमद्भागवत महापुराण सप्ताह भक्ति मुक्ति ज्ञान यज्ञ का आयोजन हो रहा है।

आज के दिन राजा बलि की कथा के साथ-साथ समुद्र मंथन, देवराज इंद्र के द्वारा किया गया छल, समुद्र मंथन में निकले हुए रत्न, देवताओं के द्वारा दैत्यों का ध्यान भटकाव, बुद्धि लब्धि के आधार पर देवताओं का वासुकि की पूछं की तरफ लगना, देवताओं का मंथन के लिए मंदराचल पर्वत को मनाना, हलाहल निकलने पर शिवजी का जहर को निगलना और नीलकंठ होना,भगवान राम के प्रसंग, शबरी के बेरों की कथा, शंकराचार्य की उत्तराखंड यात्रा, शैव और शक्ति क्षेत्र में शंकराचार्य का श्रीनगर पदार्पण, प्रथम बार मुख से शक्ति शब्द निकलना तथा श्री यंत्र को पलटना, बद्रीनाथ धाम की स्थापना करना, वामन अवतार के बारे में कथा के बाा भगवान कृष्ण के जन्म की कथाएं रोचक ढंग से प्रस्तुत की गई।

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लौकिक साहित्य के अंतर्गत प्रसंगवश अनेक नैतिक बातें सुनाई गई जो कि व्यावहारिक जीवन में समसामयिक हैं और श्रोताओं ने मंत्रमुग्ध होकर इन प्रसंगों को सुना और जीवन में उतारने का संकल्प भी लिया। सम्मान के साथ जहर भी पिया जा सकता है जबकि बिना सम्मान के अमृत भी महत्वहीन है। वाणी के बातों पर भी व्यास जी ने प्रकाश डाला।

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आज की कथा श्रोताओं में क्षेत्र के प्रकांड विद्वान विजेंद्र उनियाल (व्यास) द्वारिका प्रसाद बहुगुणा (व्यास) सुनील उनियाल (व्यास) बयोबृद गिरिजा प्रसाद बहुगुणा, दिनेश सकलानी, टीकाराम बहुगुणा, प्रसिद्ध एडवोकेट एम डी बहुगुणा, एडवोकेट संजय बहुगुणा, विजय सकलानी, डॉक्टर अरुण जोशी, डॉ हरी कृष्ण भट्ट, दिनेश उनियाल, केशव बहुगुणा, राड्स के अध्यक्ष सुशील बहुगुणा, भारतीय जनता पार्टी के मीडिया प्रभारी डॉ प्रमोद उनियाल, राजेंद्र नेगी, सुमन पंवार, भरोसी लाल सकलानी, राकेश बहुगुणा, मुकेश बहुगुणा, कुंदन सिंह रावत आदि बड़ी संख्या में गणमान्य उपस्थित थे। तीन सौ से अधिक मातृशक्ति ने भी ज्ञान कथा का श्रवण किया। आयोजक श्री हर्ष मणि बहुगुणा और डॉक्टर राजेंद्र बहुगुणा ने विशिष्ट आगंतुकों का शाल और दुपट्टा पहनाकर सम्मान भी किया।
@सोमवारी लाल सकलानी’निशांत’।
चंबा (टिहरी गढ़वाल)

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