परिश्रम का कोई विकल्प नहीं, एक ही गांव, परिवार और विद्यालय के पढ़े-लिखे दोनों बने सैन्य अधिकारी

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परिश्रम का कोई विकल्प नहीं, एक ही गांव, परिवार और विद्यालय के पढ़े-लिखे दोनों बने सैन्य अधिकारी
परिश्रम का कोई विकल्प नहीं, एक ही गांव, परिवार और विद्यालय के पढ़े-लिखे दोनों बने सैन्य अधिकारी
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परिश्रम का कोई विकल्प नहीं। एक ही गांव, परिवार और विद्यालय के पढ़े-लिखे दोनों बने सैन्य अधिकारी। दोनों सैन्य अधिकारियों-सब लेफ्टिनेंट महेश कोठारी और पायलट अफसर शिवम कोठारी को सरहद का साक्षी परिवार की ओर से हार्दिक बधाई एवम सुभकामनाएं।

सरहद का साक्षी @सोमवारी लाल सकलानी ‘निशांत’

चंबा के समीपवर्ती गांव हडम (तल्ला-मल्ला) के कोठारी परिवार से हाल ही में दो सैन्य अधिकारी बनकर पास आउट होकर नियुक्त हुए हैं। इसका क्रेडिट दोनों उदीयमान युवाओं, उनके माता-पिता के परिश्रम, उनके निर्धारित लक्ष्य और कान्वेंट स्कूल की पढ़ाई को जाता है। इससे भी बड़ी बात है -क्षेत्रपाल देवता बगासू देवता की कृपा जिन पर होती है उन्हें अनायास राह मिल जाती है।

चंबा के इर्द-गिर्द के गांव सैन्य अधिकारियों, वीर सैनिकों, त्याग और बलिदान के लिए जाने जाते हैं। जिस परिवेश में विक्टोरिया क्रॉस गबर सिंह नेगी जैसे बहादुर, टिहरी रियासत के अंतिम सेनापति नत्थू सिंह सज्वाण जैसे वीर पैदा हुए हों, अनेक ऐसे नाम हैं जिन्हे क समय-समय पर मैं उल्लेखित करता रहता हूं। उसी कड़ी में इन दोनों सैन्य अधिकारियों ने भी क्षेत्र का नाम रोशन किया है।

हडम गांव में स्थित कार्मेल स्कूल मील का पत्थर साबित हो रहा है। हमारे समय इंटरमीडिएट पास करने के बाद भी तत्कालीन परिवेश में हमें जानकारी का अभाव था। जब एपीएस पुंडीर इस क्षेत्र से एमटेक करने के लिए दिल्ली गए तो वे मेरे लिए प्रेरणास्पद बने जो कि डीआरडीओ से स्पेशल क्लास वन अधिकारी के रूप में सेवानिवृत्त हो चुके हैं।

चंबा स्थित एक निजी स्कूल और बगासू देवता की कृपा का उल्लेख मैं इसलिए कर रहा हूं कि इस गांव में अपने विद्यार्थी जीवन में मेरा निवास रहा है। भले ही उस समय कार्मेल स्कूल नहीं था और बगासू देवता का एक शिवलिंग ही था। आज हडम गांव में भव्य कार्मेल स्कूल और बगासू देवता का भव्य मंदिर है जो गांव को उन्नति के शिखर पर ले जा रहें हैं। यह मेरा मानना है।

ये दोनों नवनियुक्त सैन्य अधिकारी ग्रामीण परिवेश में पैदा हुए,पले- बढे, अपनी मेहनत और लगन के द्वारा भारतीय सुरक्षा बलों में शीर्षस्थ अधिकारी के रूप में पहुंचेंगे, इसके लिए सरहद का साक्षी परिवार की ओर से शुभकामनाएं हैं।

सरकारी शिक्षा प्राप्त अनेक विभूतियां पहले भी पैदा हुई लेकिन तब भी सीधी भर्ती प्रतिशत न्यूनतम था।आज अधिकारियों के रूप में प्रतिशत उत्तरोत्तर बढ़ता जा रहा है, इसका श्रेेय अच्छी बुनियादी शिक्षा को जाता है। साथ ही ईश्वरीय कृपा भी होती है।अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति और ईश्वरीय कृपा के दोनों युवाओं को उन्नति के शिखर में पहुंचाने में सफल हुई।

महेश के पिता श्रीकृष्णा कोठारी एक धार्मिक व्यक्ति हैं और उनसे भी अधिक धार्मिक प्रवृत्ति के सुनील कोठारी हैं। जो बगासू देवता के मंदिर में ज्ञान यज्ञ संपन्न करवाते रहते हैं। दोनों का नाम भी देखें- महेश और शिवम! देवता भी उन्नति में बल देता है चाहे कोई इसे अंधविश्वास कहें या अंधभक्ति कहे या कुछ भी कहे।

इन दोनों अधिकारियों के बारे में जहां तक मेरी जानकारी है, समरूपता है। गांव और क्षेत्रीय युवाओं के लिए दोनों सैन्य अधिकारी आने वाले समय में प्रेरणा स्रोत बनेंगे, जैसे समय-समय पर होता आया है।

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